ताजा दही सिर्फ टेस्टी ही नहीं होता बल्कि शरीर के लिए भी बहुत अधिक गुणकारी होता है। इसके विपरित खट्टा
या पुराना दही शरीर को नुकसान पहुंचाता है।आज की भागदौड भरी जिंदगी में
पेट की बीमारियों से परेशान होने वाले लोगों की संख्या सब से ज्यादा होती
है। इस समस्या से परेशान लोग यदि अपनी डाइट में प्रचूर मात्रा में दही को
शामिल करें तो अच्छा होगा। दही का नियमित सेवन करने से शरीर कई तरह की
बीमारियों से मुक्त रहता है। दही में अच्छी किस्म के बैक्टीरिया पाए जाते
हैं, जो शरीर को कई तरह से लाभ पहुंचाते हैं। पेट में मिलने वाली आंतों में
जब अच्छे किस्म के बैक्टीरिया का अभाव हो जाता है, तो भूख न लगने जैसी
तमाम बीमारियां पैदा हो जाती हैं।
इस के अलावा बीमारी के दौरान या एंटीबायोटिक थेरैपी के दौरान भोजन में मौजूद विटामिन और खनिज हजम नहीं होते। इस स्थिति में दही सबसे अच्छा भोजन बन जाता है। यह इन तत्वों को हजम करने में मदद करता है।
इससे पेट में होने वाली बीमारियां अपने आप खत्म हो जाती हैं। दही खाने से पाचनक्रिया सही रहती है, जिससे खुलकर भूख लगती है और खाना सही तरह से पच भी जाता है। दही खाने से शरीर को अच्छी डाइट मिलती है, जिस से स्किन में एक अच्छा ग्लो रहता है। मुंह के छालों पर दिन में 2-4 बार दही लगाने से छाले जल्द ही ठीक हो जाते हैं। शरीर के ब्लड सिस्टम में इन्फेक्शन को कंट्रोल करने में वाइट ब्लड सेल्स का महत्त्त्वपूर्ण योगदान होता है। दही खाने से वाइट ब्लड सेल्स मजबूत होते हैं, जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। लेकिन इसक ा सेवन कब और किस तरह करके ज्यादा लाभ उठा सकते हैं आइए जानते हैं कब और किस तरह इसका सेवन करके आप ज्यादा लाभ उठा सकते हैं।
- दही हमेशा ताजी ही प्रयोग करनी चाहिए।
- रात्रि में दही के सेवन को हल्का काला नमक,शक्कर या शहद के साथ ही किया जाना चाहिए।
- मांसाहार के साथ दही के सेवन को विरुद्ध माना गया है।
- दही दस्त या अतिसार के रोगियों में मल को बांधनेवाली होती है,पर सामान्य अवस्था में अभिस्यंदी अर्थात कब्ज कर सकती है।
- ग्रीष्मऋतु में जब लू चल रही हो तब दही की लस्सी ऊर्जा प्रदान करनेवाली तथा शरीर में जलीयांश की कमी को दूर करती है।
- नित्य सेवन से दही का प्रभाव शरीर के लिए सात्म्य होकर गुणकारी हो जाता है।
- मधुमेह से पीडि़त रोगियों में दही का सेवन संयम से करना चाहिए, इससे फायदा होता है।
- दही का सेवन कुछ आयुर्वेदिक औषधियों में सह्पान के साथ कराने का भी विधान है, जिससे दवा का प्रभाव बढ़ जाता है।
- दही का सेवन कोलाईटीस रोगियों के लिए रामबाण आयुर्वेदिक दवा है।
- बच्चों में ताजी दही पेट सम्बंधी विकारों को दूर करती है।
- दही एवं कच्चे केले को पकाकर आंवयुक्त अतिसार (म्युकोइड स्टूल ) को रोका जा सकता है।
- जब खांसी,जुखाम,टांसिल्स एवं, सांस की तकलीफ हो तब दही का सेवन न करें तो अच्छा।
- दही सदैव ताजीर एवं शुद्ध घर में मिटटी के बर्तन की बनी हो तो अत्यंत गुणकारी होती है।
- त्वचा रोगों में दही का सेवन सावधानी पूर्वक चिकित्सक के निर्देशन में करना चाहिए।
- मात्रा से अधिक दही के सेवन से बचना चाहिए।
- अर्श (पाईल्स ) के रोगियों को भी दही का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।तो ऐसी है दही ,बड़ी गुणकारी,रोगों में दवा पर सावधानी से करें प्रयोग।
- दही के रोजाना सेवन से शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
- दही में अजवाइन मिलाकर पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
- गर्मी के मौसम में दही की छाछ या लस्सी पीने से पेट की गर्मी शांत होती है। इसे पीकर बाहर निकले तो लू से भी बचाव होता है।
- दही पाचन क्षमता बढ़ाता है।
- दही में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है। इसे रोजाना खाने से पेट की कई बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं।
- दही का रोजाना सेवन सर्दी और साँस की नली में होने वाले इंफेक्शन से बचाता है।
- अल्सर जैसी बीमारी में दही के सेवन से विशेष लाभ मिलता है।
- मुँह में छाले होने पर दही के कुल्ला करने से छाले ठीक हो जाते हैं।
इस के अलावा बीमारी के दौरान या एंटीबायोटिक थेरैपी के दौरान भोजन में मौजूद विटामिन और खनिज हजम नहीं होते। इस स्थिति में दही सबसे अच्छा भोजन बन जाता है। यह इन तत्वों को हजम करने में मदद करता है।
इससे पेट में होने वाली बीमारियां अपने आप खत्म हो जाती हैं। दही खाने से पाचनक्रिया सही रहती है, जिससे खुलकर भूख लगती है और खाना सही तरह से पच भी जाता है। दही खाने से शरीर को अच्छी डाइट मिलती है, जिस से स्किन में एक अच्छा ग्लो रहता है। मुंह के छालों पर दिन में 2-4 बार दही लगाने से छाले जल्द ही ठीक हो जाते हैं। शरीर के ब्लड सिस्टम में इन्फेक्शन को कंट्रोल करने में वाइट ब्लड सेल्स का महत्त्त्वपूर्ण योगदान होता है। दही खाने से वाइट ब्लड सेल्स मजबूत होते हैं, जो शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं। लेकिन इसक ा सेवन कब और किस तरह करके ज्यादा लाभ उठा सकते हैं आइए जानते हैं कब और किस तरह इसका सेवन करके आप ज्यादा लाभ उठा सकते हैं।
- दही हमेशा ताजी ही प्रयोग करनी चाहिए।
- रात्रि में दही के सेवन को हल्का काला नमक,शक्कर या शहद के साथ ही किया जाना चाहिए।
- मांसाहार के साथ दही के सेवन को विरुद्ध माना गया है।
- दही दस्त या अतिसार के रोगियों में मल को बांधनेवाली होती है,पर सामान्य अवस्था में अभिस्यंदी अर्थात कब्ज कर सकती है।
- ग्रीष्मऋतु में जब लू चल रही हो तब दही की लस्सी ऊर्जा प्रदान करनेवाली तथा शरीर में जलीयांश की कमी को दूर करती है।
- नित्य सेवन से दही का प्रभाव शरीर के लिए सात्म्य होकर गुणकारी हो जाता है।
- मधुमेह से पीडि़त रोगियों में दही का सेवन संयम से करना चाहिए, इससे फायदा होता है।
- दही का सेवन कुछ आयुर्वेदिक औषधियों में सह्पान के साथ कराने का भी विधान है, जिससे दवा का प्रभाव बढ़ जाता है।
- दही का सेवन कोलाईटीस रोगियों के लिए रामबाण आयुर्वेदिक दवा है।
- बच्चों में ताजी दही पेट सम्बंधी विकारों को दूर करती है।
- दही एवं कच्चे केले को पकाकर आंवयुक्त अतिसार (म्युकोइड स्टूल ) को रोका जा सकता है।
- जब खांसी,जुखाम,टांसिल्स एवं, सांस की तकलीफ हो तब दही का सेवन न करें तो अच्छा।
- दही सदैव ताजीर एवं शुद्ध घर में मिटटी के बर्तन की बनी हो तो अत्यंत गुणकारी होती है।
- त्वचा रोगों में दही का सेवन सावधानी पूर्वक चिकित्सक के निर्देशन में करना चाहिए।
- मात्रा से अधिक दही के सेवन से बचना चाहिए।
- अर्श (पाईल्स ) के रोगियों को भी दही का सेवन सावधानीपूर्वक करना चाहिए।तो ऐसी है दही ,बड़ी गुणकारी,रोगों में दवा पर सावधानी से करें प्रयोग।
- दही के रोजाना सेवन से शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
- दही में अजवाइन मिलाकर पीने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।
- गर्मी के मौसम में दही की छाछ या लस्सी पीने से पेट की गर्मी शांत होती है। इसे पीकर बाहर निकले तो लू से भी बचाव होता है।
- दही पाचन क्षमता बढ़ाता है।
- दही में कैल्शियम प्रचुर मात्रा में होता है। इसे रोजाना खाने से पेट की कई बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं।
- दही का रोजाना सेवन सर्दी और साँस की नली में होने वाले इंफेक्शन से बचाता है।
- अल्सर जैसी बीमारी में दही के सेवन से विशेष लाभ मिलता है।
- मुँह में छाले होने पर दही के कुल्ला करने से छाले ठीक हो जाते हैं।
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