जब तक शरीर स्वस्थ और आपके नियंत्रण में है। उस समय आत्म साक्षात्कार के लिए उपाय अवश्य ही कर लेना चाहिए, क्योंकि मृत्यु के पश्चात कोई कुछ भी नहीं कर सकता।
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विद्यार्जन करना एक कामधेनु के समान है, जो मनुष्य को हर मौसम में
अमृतप्रदान करती है। वह विदेश में माता के समान रक्षक एवं हितकारी होती है।
इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन भी कहा गया है।
* बुद्धिमान पिता को
अपने बच्चों को शुभ गुणों की सीख देनी चाहिए, क्योंकि नीतिज्ञ और ज्ञानी
व्यक्तियों की ही कुल में पूजा होती है।
* मूर्खता दुखदायी है, जवानी भी दुखदायी है, लेकिन इससे कही ज्यादा दुखदायी है किसी दूसरे के घर रहकर उससे अहसान लेना है।
* हर पहाड़ पर माणिक्य नहीं होते, हर हाथी के सिर पर मणि नहीं होता, सज्जन
पुरुष भी हर जगह होते और हर वन में चंदन के वृक्ष भी नहीं होते हैं।
* भोजन के योग्य पदार्थ और भोजन करने की क्षमता, सुंदरस्त्री और उसे भोगने
के लिए काम शक्ति, पर्याप्त धन राशि तथा दान देने की भावनाऐ से संयोगों का
होना सामान्य तप का फल नहीं है।
* एक बुरे मित्र पर कभी विश्वास ना
करें। एक अच्छे मित्र पर भी विश्वास ना करें, क्योंकि यदि ऐसे लोग आप पर
गुस्सा होते हैं तो आपके सभी राज वो दूसरे के सामने खोल कर रख देंगे।
* मन में सोंचे हुए कार्य को किसी के सामने प्रकट न करें, बल्कि मन लगाकर उसकी सुरक्षा करते हुए उसे कार्य में परिणित करें।
* पुत्र वही है जो पिता का कहना मानता है, पिता वही है जो पुत्रों का
पालन-पोषण करें। मित्र वह है जिस पर विश्वास कर सकते है और पत्नी वही है
जिससे सारे सुख प्राप्त हो।
* उनसे बचे जो आपसे मुंह पर तो मीठी बाते
करते है लेकिन पीठ पीछे आपको बर्बाद करने की योजना बनाते है। ऐसा करने वाले
तो उस जहर के उस घड़े के समान है जिसकी ऊपरी परत दूध से ढंकी हुई हो।
* छल करना, बेवकूफी करना, लालच, निर्दयता, अपवित्रता,कठोरता, और झूठ बोलना यह औरतों के नैसर्गिक दुर्गुणहै।
* उस व्यक्ति ने धरती पर ही स्वर्ग को पा लिया, जैसे : -
- जिसका पुत्र आज्ञाकारी है।
- जिसकी पत्नी उसकी इच्छा के अनुरूप व्यवहार करती है।
- जिसके मन अपने कमाए धन को लेकर संतोष है।
* वह गृहस्थ भगवान की कृपा को पा चुका है जिसके घर में आनंददायी वातावरण
है। बच्चे गुणी तथा पत्नी मधुर भाषा में वार्तालाप करती है ।
चाणक्य कथन
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