कांग्रेसी क्या तुम्हे
इसकी जानकारी है.....................
मोतीलाल (वेश्यालय मालिक) व नेहरू(nehru)
का जन्म वेश्यालय में हुआ था.
मोतीलाल ( भारत के प्रथम प्रधान
मंत्री का पिता ) अधिक पढ़ा लि
खा व्यक्ति नहीं था. कम उम्र में विवाह के बाद
जीविका की खोज में वह इलाहबाद आ गया था.
हमें यह पता नहीं की निश्चित रूप से वह इलाहबाद
में कहाँ आकर बसा होगा,किन्तु हम विश्वास
नहीं कर सकते की उसके बसने का स्थान मीरगंज
रहा होगा ,जहाँ तुर्क व मुग़ल अपहृत हिन्दू
महिलाओं को अपने मनोरंजन के लिए रखते थे. हम
एसा इस लिए कह रहे हैं की अब हम अच्छीतरह
जान चुके हैं की मोतीलाल अपनी दूसरी पत्नी के
साथ मीरगंज में वेश्याओं के इलाके में रहा था.
पहली पत्नी एक पुत्र के होने के बाद मर
गयी थी. कुछ दिन पश्चात उसका पुत्र भी मर
गया .जिसके बाद वह कश्मीर लोट गया. जहाँ पर
एक बार फिर तीसरा विवाह किया. और
तीसरी पत्नी के साथ फिर से इलाहबाद लोट
आया.
उसने जीविका चलने के लिए वेश्यालय चलने
का निश्चय किया. दिन के समय मोतीलाल
कचहरी में मुख्तार का काम करता था.उसी उच्च
न्यायलय में एक प्रसिद्द वकील मुबारक
अली था जिसकी वकालत बहुत चलती थी. इशरत
मंजिल के नाम से उसका एक मकान था.
कचहरी से मोतीलाल पैदल ही अपने घर
लोटता था. मुबारक अली भी शाम को रंगीन बनाने
के लिए मीरगंज आता रहता था. एक दिन मीरगंज
में ही मोतीलाल मुबारक अली से मिला और
अपनी नई पत्नी के साथ रात बिताने का निमंत्रण
दिया. सोदा पट गया.और इस प्रकार मोतीलाल
के सम्बन्ध मुबारक अली से बन गए.
दोनों ने इटावा की विधवा रानी को उसका राज्य
वापस दिलाने के लिए जमकर लूटा. उस समय
लगभग १० लाख की फीस ली. और
आधी आधी बाँट ली. यही से मोतीलाल
की किस्मत का सितारा बदल गया.
इसी बीच मोतीलाल की बीबी गर्भवती हो गयी.
मुबारक ने माना की बच्चा उसी की नाजायज
ओलाद है.
मोतीलाल ने मुबारक से भावी संतान के लिए
इशरत महल में स्थान माँगा. किन्तु मुबारक ने
मना कर दिया. किन्तु जच्चा-
बच्चा का सारा खर्च वहन किया. अंत में भारत
का भावी प्रधान मंत्री मीरगंज के वेश्यालय में
पैदा हुआ.
जैसे ही जवाहर पी एम् बना वैसे ही तुरंत उसने
मीरगंज का वह मकान तुडवा दिया ,और अफवाह
फैला दी की वह आनद भवन (इशरत महल)में
पैदा हुआ था जबकि उस समय आनंद भवन
था ही नहीं.
मुबारक का सम्बन्ध बड़े
प्रभुत्वशाली मुसलमानों से था. अवध के नवाब
को जब पता चला की मुबारक का एक पुत्र
मीरगंज के वेश्यालय में पल रहा है तो उसने
मुबारक से उसे इशरत महल लाने को कहा.
और इस प्रकार नेहरू की परवरिश इशरत महल में
हुई. और इसी बात को नेहरू गर्व से
कहता था की उसकी शिक्षा विदेशों में हुई,इश्लाम
के तोर तरीके से उसका विकास हुआ.और हिन्दू
तो वह मात्र दुर्घटनावश ही था.
(पुस्तक -नेहरु खान वंश,प्रकाशक-मानव
रक्षा संघ )
No comments:
Post a Comment