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Tuesday, February 12, 2013

एक कविता .....मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये!!

मेरी जान ,,,,

तुम नयी विदेशी मिक्सी हो,मै पत्थर का सिलबट्टा हूँ !
...
तुम अक 47 जैसी, मै तो एक देसी कट्टा हूँ !
तुम चतुर राबड़ी देवी सी, मै भोला भाला लालू हूँ !

तुम मुक्त शेरनी जंगल की, मै चिड़ियाघर का भालू हूँ !
तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी, मै राहुल गाँधी सा खाली हूँ !

तुम हंसी माधुरी दिक्षित की, मै पुलिसमैन की गाली हूँ !

कल जेल अगर हो जाए प्रिये, दिलवा देना तुम बेल प्रिये !
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये!!

मै ढाबे के ढांचे जैसा, तुम पांच सितारा होटल हो !
मै महुवे का देशी ठर्रा , तुम रेड लेबल की बोतल हो !!

तुम रंगोली का मधुर गीत, मै कृषि दर्शन की झाड़ी हूँ!!
तुम विश्वसुन्दरी सी कमाल, मै तेलिया छाप कबाड़ी हूँ!!

तुम सोनी का हो मोबाइल, मै टेलीफ़ोन वाला हूँ चोंगा !
तुम मछली मानसरोवर की, मै सागर तट का हूँ घोगा !

दस मंजिल से गिर जाउंगा, मत आगे मुझे धकेल प्रिये !
मुश्किल है अपना मेल प्रिये, ये प्यार नहीं है खेल प्रिये!!

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