भारत
को गुलाम बनाने में लार्ड मेकाले का बड़ा योगदान रहा है ….! मैं लार्ड
मेकाले के एक कथन को उदधृत कर रहा हूँ जिसपर हमें गौर करने क़ी जरूरत है
….”मैं भारत के कोने -कोने में घूमा हूँ,मुझे एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं दिखा
जो भिखारी हो,चोर हो….इस देश में मैंने इतनी धन दौलत देखी है ,इतने ऊँचे
चारित्रिक आदर्श और इतने गुणवान मनुष्य देखे हैं क़ि मैं नहीं समझता
क़ि इस देश पर हम कभी शासन कर पायेंगे,जब तक क़ि उसकी रीढ़ की हड्डी नहीं
तोड़ देते ,जो है इसकी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत ..! इसलिए मैं
प्रस्ताव रखता हूँ क़ि हम इसकी पुरातन शिक्षा व्यवस्था और संस्कृति को बदल
डालें,जिससे भारतीय यह सोचने लगें की,जो विदेशी और अंग्रेजी है,वह अच्छा है
और उनकी अपनी चीजों से बेहतर है,तो वे अपने आत्मगौरव और संस्कृति को
भुलाने लगेंगे और वैसे ही बन जायेंगे जैसा हम चाहते हैं -एक पूरी तरह से
दमित देश ” …अर्थात भारत की रीढ़ पर प्रहार कर वर्षों तक गुलाम बनाने की
सोच ..!क्या आज हम मेकाले द्वारा रचे गए शिक्षा रूपी ताने-बाने के कारण
उपजी सोच से अलग हो पाए हैं?
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