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Wednesday, February 27, 2013

अंग्रेजों कि काली करतूत

१७६० – राबर्ट क्लाइव ने कोलकाता में पहला कसाईखाना खोला ।
१८६१ – रानी विक्टोरिया ने भारत के वाइसराय को लिख कर
गायों के प्रति भारतीयों की भावनाओं को आहत करने
को उकसाया ।
१९४७ – स्वतंत्रता के समय भारत में ३०० से कुछ अधिक कल्लगाह थे
। आज ३५,००० अधिकृत और लाखों अनधिकृत वधशालाएँ हैं ।
गाय की प्रजातियाँ ७० से घटकर ३३ रह गई हैं । इनमें भी कुछ
तो लुप्त होने के कगार पर हैं ।
स्वतंत्रता के बाद गायों की संख्या में ८० प्रतिशत की गिरावट आई
है ।
१९९३-९४ भारत ने १,०१,६६८ टन गोमांस निर्यात किया । १९९४-९५
का लक्ष्य दो लाख टन था ।
हम वैनिटी बैग और बेल्ट के लिये गाय का चमड़ा, मन्जन के लिये
हड्डियों का चूर्ण, विटामिन की गोलियों के लिये रक्त और
सोने-चांदी के वर्कों हेतु बछड़े की आंतें पाने के लिये गो हत्या करते
हैं ।
ऐसा समझा जाता है कि १९९३ में लातूर और १९९४ में बिहार जैसे
भूकंपों के पीछे गो हत्या का कारण है ।

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