१- बकरीद पर गाय या बकरे का गोस्त |
२- मीठी ईद पर थुकी हुयी सिवईयां |
३- पडोसी को पिटवाने के लिए गुंडे |
४- बैठे बिठाये हर रिश्ते में " जान " ढूंढ़ ली जाती है |
५- अपनी माँ बहन से तू कह कर बात करने वाला अम्मी , बाजी ,खाला , फूफी कहना सिख जाता है |
६- कुछ मुफ्त के काम हो जाते है जैसे बिजली , मोटर साइकल , पंचर आदि |
७- बदबू में रहना आ जाता है |
८- बात बात में कसम खाना आ जाता है |
९- कभी मंदिर में ना जाने वाले सेकुलर मजारों पर अपना पिछबाड़ा उठाना सीख जाते है |
१०- अंतिम और सबसे अहम् कारण बिना दहेज़ दिए ही पंचर जोड़ने वाला , खैरात
पर काम करने वाला , फल की रेहड़ी लगाने वाला , बच्चो को स्कूल छोड़ने वाली
वें का ड्राइवर जैसे गुणों से भरपूर दामाद मिल जाता है ||
तो बनिए सेकुलर क्योकि आज का सेकुलर कल का मुल्ला है ||
जय जय सियाराम ,, जय जय महाकाल ,, जय जय माँ भारती ||
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