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Tuesday, February 19, 2013

तथाकथित नेहरू/गांधी परिवार का सच (भाग- ४ ) .....

तथाकथित नेहरू/गांधी परिवार का सच (भाग- ४ ) .....


“The Nehru Dynasty” (ISBN 10:8186092005) किताब में के. एन. राव कहते हैं कि इंदिरा गाँधी (श्रीमती फिरोज खान) का जो दूसरा बेटा था, संजय गाँधी वो फिरोज खान कि औलाद नहीं था! बल्कि वो एक दुसरे महानुभाव मोहम्मद युनुस के साथ अवैध संबंधों के चलते हुए था! दिलचस्प बात ये है कि संजय गाँधी की शादी एक सिखनी मेनका के साथ मोहम्मद युनुस के ही घर पर दिल्ली में हुई थी! जाहिर तौर पर युनुस इस शादी से ज्यादा खुश नहीं था क्यूंकि वो संजय कि शादी अपनी पसंद की एक मुस्लिम
लड़की से करवाना चाहता था! जब संजय गाँधी की प्लेन दुर्घटना में मौत हुई तब मोहम्मद युनुस ही सबसे ज्यादा रोया था!
युनुस की लिखी एक किताब
“Persons, Passions & Politics” (ISBN-10: 0706910176) से साफ़ पता चलता है कि बचपन में संजय गाँधी का मुस्लिम रीती रिवाज के अनुसार खतना किया गया था! (खतना- जिसमे उनके लिंग के आगे के कुछ भाग को थोडा सा काट दिया जाता है!) यह सच है कि संजय गांधी लगातार अपनी मां इंदिरा गांधी को अपने असली पिता के नाम पर ब्लैकमेल किया करता था! संजय
का अपनी माँ पर पर गहरा भावनात्मक नियंत्रण था जिसका संजय ने जमकर दुरूपयोग किया!इंदिरा गांधी भी उसकी इन सब बातों (कुकर्मों) को नजरअंदाज करती रही और संजय परोक्ष रूप से सरकार नियंत्रित किया करता था! एक माँ की ममत्व के लिए कलंकित एक उदाहरण -- जब संजय गाँधी कि प्लेन दुर्घंतना के साथ उसकी मौत कि खबर इंदिरा गाँधी तक पहुंची तो इंदिरा गाँधी के पहले बोल थे- उसकी घडी और चाबियाँ कहाँ है! अवश्य ही उन वस्तुवों में भी इस खानदान के कुछ राज छुपे हुए होंगे! एक बात और, संजय गाँधी कि प्लेन दुर्घटना भी पूर्ण रूप से रहस्यमय थी! संजय गाधी का प्लेन गोता लगते हुए बिना किसी चीज से टकराए क्रेश हो गया! ऐसा सिर्फ उस स्थिति में होता है जब विमान में इंधन ख़तम हो जाये! लेकिन उस समय का उड़ान रजिस्टर बताता है कि उड़ने से पहले ही टेंक पूरा भरा गया था! और बाद में इंदिरा गाँधी ने अपने प्रभाव का इन्स्तेमाल करते हुए जाँच निशिद्द
करदी!दुबारा से श्रीमती इंदिरा गाँधी के प्यार के किस्सों पर आते हैं!
केथरीन फ्रेंक की एक किताब
“The Life of Indira Nehru Gandhi” (ISBN: 9780007259304) में इंदिरा गाँधी के कुछ दुसरे प्यार के किस्से उजागर होते हैं!
• ये लिखा गया है कि इंदिरा गाँधी का पहला चक्कर पहली बार अपने जर्मन के अध्यापक के साथ चला था।
• बाद में अपने बाप जवाहर लाल के सेक्रेट्री एम् ओ मैथई के साथ भी उसका प्रेम परवान चढ़ा।
• फिर अपने योग के अध्यापक धीरेन्द्र ब्रह्मचारी और उसके बाद विदेश मंत्री दिनेश सिंह के साथ इनका प्रेम परवान चढ़ा!
पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने
अपनी पुस्तक “Profile and Letters” (ISBN: 8129102358) में मुगलों के प्रति इंदिरा गांधी का आदर के संबंध के
बारे में एक दिलचस्प रहस्योद्घाटन किया! इसमें कहा गया कि जब 1968 में प्रधान मंत्री रहते इंदिरा गाँधी अफगानिस्तान कि अदिकारिक यात्रा पर गयी तब नटवर सिंह उनके साथ एक आई.ऍफ़.एस. अधिकारी के तौर पर गए हुए थे! दिन के सभी कार्यक्रमों के बाद इंदिरा गाँधी सैर के लिए जाना चाहती थी! थोड़ी दूर तक कार में चलने के बाद इंदिरा गाँधी ने बाबर कि दफंगाह को देखने कि इच्छा जाहिर कि!हालाँकि ये उनके कार्यक्रम का हिस्सा नहीं थी! अफगानी सुरक्षा अधिकारीयों ने भी इंदिरा को ऐसा न करने कि सलाह दी, लेकिन इंदिरा अपनी बात पर
अड़ी हुई थी! और अंत में इंदिरा उस जगह पर गयी! यह एक सुनसान जगह थी! वह वहां कुछ देर तक अपना सिर श्रदा में झुकाए खड़ी रही! नटवर सिंह वहीँ उसके पीछे खड़ा था! जब इंदिरा गाँधी का ये सब पूजा का कार्यक्रम खत्म हुआ तब वो मुड़ी और नटवर सिंह से बोली कि आज वो अपने इतिहास से मिलके आई है! किसी को अगर समझ न आया हो तो बता दूँ कि बाबर को ही हिंदुस्तान में मुग़ल सल्तनत का संस्थापक मन जाता है, और ये
गाँधी नेहरु का ड्रामा उसके बाद ही शुरू हुआ था! उच्च शिक्षा के कितने संस्थानों के नाम इस परिवार और इनके चापलूसों ने राजीव गाँधी के नाम पर रख दिए, इसकी गिनती करना तो बहुत मुश्किल काम है! लेकिन अपने जीवन में राजीव गाँधी खुद एक कम क्षमताऔर पढ़ाई कमज़ोर था! 1962 से 1965तक उसने ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में एक यांत्रिक अभियांत्रिकी पाठ्यक्रम के लिए दाखिला लिया था!लेकिन उसने डिग्री के बिना कैम्ब्रिज छोड़ दिया क्योंकि वह परीक्षा पास नहीं कर सका.!1966 में अगले वर्ष, वह इंपीरियल कॉलेज, लंदन में दाखिल हुआ , लेकिन फिर से डिग्री के बिना छोड़ दिया|
जय हिन्द !!

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