नाथों के नाथ
ओ!श्याम मनोहर
भक्तों की तुम
फटकार सुनो
वो बुरा भी बोले
तो बुरा सुनो
वो गुस्से से उबलें
वो भी सहो
बस तुमसे मीठी सी
एक गुजारिस है नाथ
तुम प्रेम प्रभु हो
बस प्रेम करो
हम मूरख है
हम पागल हैं
तेरी भक्ति मैं
प्रभु घायल हैं
जो दर्द भी
तेरी भक्ति मैं
तो उस दर्द के
प्रभु हम कायल हैं ।।
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