बनकर “पाञ्चजन्य” हम हर घर मेँ अलख जगायेँगे....बागी हैँ हम इंकलाब के गीत सुनाते जायेँगे ... "सरल को कठिन बनाना आसान है लेकिन कठिन को सरल बनाना मुश्किल है। जो कठिन को सरल बनाना जानता है वो व्यक्ति विशेष होता है।
जय श्री कृष्णा राधे राधे ..... तू रंग है मैं हूँ ख़ुशबू गुल खिलते हैं अपने मिलन से तेरा मुखड़ा है सामने मेरे मुझे मतलब नहीं है चमन से एक अपनी डगर एक अपना नगर एक अपनी कहानी हो गई अब है सबके लबों पर ये ताज़ा ख़बर राधा श्याम की दीवानी हो गई..!!
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