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Friday, March 1, 2013

फेसबूक की कड़वी सच्चाई पर एक नजर!


फ़ेस बुक पर एक कन्या ने , खाता नया बनाया ,
खाता खुलते ही मित्रों का , नव संदेशा आया ।
और उन्ही मे एक युवक का , नम्र निवेदन पाया,
सुंदर फोटो देख के, कन्या का दिल उस पर आया।
चेटिंग करते करते नित, कन्या को युवक भाया ,
प्रेम का दरिया बह निकला ,हृदय पुष्प अकुलाया।
कन्या हुई दिवानी उसकी, मिलन का मन बनाया ,
एक नियत सुंदर स्थल पर , मिलने उसे बुलाया।
ब्यस्त हूँ कहकर वह प्रेमी, मिलने न उसको आया,
लेकिन प्रेम भरी बातों का, सिलसिला नहीं घटाया।
कई माह तक कन्या से, जब वह न मिलने आया,
प्रेम से व्याकुल कन्या ने , मन में संकल्प बनाया।
पता प्रेमी का कन्या ने, एक दिन खोज कराया ,
और अचानक प्रेमी के घर, अपना कदम बढ़ाया ।
सकते मे आ गई जब , प्रेमी को उसने पाया,
वह था न कोई युवा सलोना ,बासठ का बूढ़ा पाया।
बचपन का फोटो और झूठे, नाम से जाल बिछाया,
मीठी- मीठी बातों से, भोली बाला को फंसाया ।
टूट गए सब स्वप्न सुनहरे , दिल ने धोखा खाया,
प्रेम की डोर कटी रेशमी, हृदय बहुत पछताया ।
अपनी मूरखता पर अब , कन्या को रोना आया ,
ब्यर्थ किया समय अपना , दिल पे घाव बनाया।
शादी के अच्छे सच्चे, रिश्तों को ठुकराया,
अनजान से दोस्ती का, खमियाजा उसने पाया।

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