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Sunday, February 17, 2013

माँ मुझे एक बंदूक दे दे .......

माँ मुझे एक बंदूक दे दे
मै कसाब बन जाऊँगा

दो चार मंत्री को मार
रोज कबाब मै खाऊँगा

यहाँ तो इक चादर भी नहीं
वहाँ नरम बिछौना पाऊँगा

दिन रात मै जागूँ यहाँ
वहाँ चैन की नींद सो जाऊँगा

यहाँ मिले गाली और घूंसा
यहाँ रोज मार मै खाऊँगा

वहाँ मुझे छिंक भी आये
तुरंत दवाई मै पाऊँगा

घर की सूखी रोटी से तो अच्छा
रोज बिरयानी खाऊंगा

और जब मैं अदालत में जाऊ
तो मंद मंद मुस्कराऊंगा

मुझे देख भारतवासी गुस्से से तिलमिलाए
तो उनकी किस्मत पर तरस खाऊंगा

फिर देना जब जनम मुझे
मै ऐसा भाग न पाऊँगा

माँ मुझे एक बंदूक दे दे
मै कसाब बन जाऊँगा..

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