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Wednesday, February 13, 2013

बिटिया .....

क्यों समझती हो खुद को कमजोर बिटिया?
अपनी ताकत पर तुम करो गौर बिटिया ।

सृष्टि में तुम सूर्य की पहली किरण हो
रोशनी का तुम सुनहरा भोर बिटिया ।

मंदिरों की घंटियों की गूँज हो तुम
शक्*ति की पूजा का तुम्हीं ठौर बिटिया ।

धर्म, दर्शन, ज्ञान की उड़ती पतंगें
इन पतंगों की तुम्हीं हो डोर बिटिया ।

तुम रहो चौकस तो बिल्कुल न बनोगी
वासना के भेड़ियों का कौर बिटिया ।

राह में ठोकर लगे, हिम्मत न हारो
फिर करो कौशिश कोई पुरजोर बिटिया ।
एक दिन तुम्हें निश्चित मंजिल मिलेगी

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