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Wednesday, April 10, 2013

गुजरात दंगे का सच .....




गोधरा कांड की इस सच्चाई को आग की तरह फैलाएं, ताकि सच्चाई सबतक पहुँच सके,

क्या आप सचमुच में जानते हैं कि..... गुजरात दंगे का सच क्या है.....?????? यह सच हर भारतीय को पता होना चाहिए... एक बार इसे पढ़े जरुर..... दरअसल ..... आज जहाँ देखो वहाँ गुजरात के दंगो के बारे में ही सुनने और देखने को मिलता है... फिर चाहे वो गूगल हो या फेसबुक .. हो या फिर टीवी...! रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं..... रोज गुजरात की सरकार को कटघरे में खड़ा किया जाता है...!

असल में..... सबका निशाना केवल एक नरेन्द्र भाई मोदी.....क्योंकि, वे हम हिन्दुओं के चहेते हैं... जिस कारण कुछ कट्टरपंथी मुस्लिम तथा सेकुलर जी- जान से इस काम में जुटे हैं...! जिसे देखो... वो अपने को जज दिखाता है.... हर कोई सेकुलरता के नाम पर एक ही स्वर में गुजरात दंगो की भर्त्सना करते हैं..... हालाँकि, मै भी दंगो को गलत मानता हूँ क्योंकि दंगे सिर्फ दर्द दे कर जाते हैं ...! लेकिन......

सबसे बड़ा सवाल यह है कि.....गुजरात दंगा हुआ क्यों..........? 27 फरवरी 2002 को साबरमती ट्रेन के S6 बोगी को गोधरा रेलवे स्टेशन से करीब 826 मीटर की दुरी पर जला दिया गया था....जिसमे 57 मासूम, निहत्थे और निर्दोष हिन्दू कारसेवकों की मौत हो गयी थी... ! प्रथम द्रष्टा रहे वहाँ के 14 पुलिस के जवान जो उस समय स्टेशन पर मौजूद थे.. और उनमे से 3 पुलिस वाले घटना स्थल पर पहुंचे और साथ ही पहुंचे अग्नि शमन दल के एक जवान सुरेशगिरी गोसाई जी....! अगर हम इन चारो लोगों की मानें तो "म्युनिसिपल काउंसिलर हाजी बिलाल" भीड़ को आदेश दे रहे थे.... ट्रेन के इंजन को जलाने का......! साथ ही साथ.... जब ये जवान आगबुझाने की कोशिश कर रहे थे..... तब भीड़ के द्वारा ट्रेन पर पत्थरबाजी चालू कर दी गई ......! अब इसके आगे बढ़ कर देखें तो.... जब गोधरा पुलिस स्टेशन की टीम पहुंची तब 2 लोग 10 ,000 की भीड़ को उकसा रहे थे.... ये थे म्युनिसिपल प्रेसिडेंट मोहम्मद कलोटा और म्युनिसिपल काउंसिलर हाजी बिलाल.....!अब सवाल उठता है कि..... मोहम्मद कलोटा और हाजी बिलाल को किसने उकसाया और ये ट्रेन को जलाने क्यों गए......????? सवालो के बाढ़ यही नहीं रुकते हैं..... बल्कि सवालो की लिस्ट अभी काफी लम्बी है...... अब सवाल उठता है कि .... क्यों मारा गया ऐसे राम भक्तो को......??? कुछ मीडिया ने बताया की ये मुसलमानों को उकसाने वाले नारे लगा रहे….अब क्या कोई बताएगा कि .....क्या भगवान राम के भजन मुसलमानों को उकसाने वाले लगते हैं......????? लेकिन इसके पहले भी एक हादसा हुआ 27 फ़रवरी 2002 को सुबह 7 .43 मिनट 4 घंटे की देरी से जैसे ही साबरमती ट्रेन चली और प्लेटफ़ॉर्म छोड़ा तो... प्लेटफ़ॉर्म से 100 मीटर की दुरी पर ही 1000 लोगो की भीड़ ने ट्रेन पर पत्थर चलाने चालू कर दिए .....! पर, यहाँ रेलवे की पुलिस ने भीड़ को तितर- बितर कर दिया और ट्रेन को आगे के लिए रवाना कर दिया.....! लेकिन, जैसे ही ट्रेन मुश्किल से 800 मीटर चली...... अलग-अलग बोगियों से कई बार चेन खींची गई....! बाकी की कहानी जिस पर बीती उसकी जुबानी.......... उस समय मुश्किल से से 15-16 की बच्ची की जुबानी......... ये बच्ची थी कक्षा 11 में पढने वाली गायत्री पंचाल जो कि उस समय अपने परिवार के साथ अयोध्या से लौट रही थी .... उसकी मानें तो... ट्रेन में राम धुनचल रहा था और ट्रेन जैसे ही गोधरा से आगे बढ़ी ..... एक दम से चेन खींच कर रोक दिया गया ...! उसके बाद देखने में आया कि ... एक भीड़ हथियारों से लैस हो कर ट्रेन की तरफ बढ़ रही है.....! हथियार भी कैसे....... लाठी- डंडा नहीं बल्कि.... तलवार, गुप्ती, भाले, पेट्रोल बम्ब, एसिड बम और पता नहीं क्या क्या.........! भीड़ को देख कर ट्रेन में सवार यात्रियों ने खिड़की और दरवाजे बंद कर लिए.......! पर भीड़ में से जो अन्दर घुस आए थे ...वो कार सेवको को मार रहे थे और उनके सामानों को लूट रहे थे और साथ ही बाहर खड़ी भीड़ मारो -काटो के नारे लगा रही थी....! एक लाउड स्पीकर जो कि पास के मस्जिद पर था........... उससे बार बार ये आदेश दिया जा रहा था कि ..... “मारो... काटो.. लादेन ना दुश्मनों ने मारो” ! इसके साथ ही.... साथ ही बहार खड़ी भीड़ ने पेट्रोल डाल कर आग लगाना चालू कर दिया... जिससे कोई जिन्दा ना बचे....! ट्रेन की बोगी में चारो तरफ पेट्रोल भरा हुआ था....! दरवाजे बाहर से बंद कर दिए गए थे , ताकि कोई बाहर ना निकल सके...! S-6 और S-7 के वैक्यूम पाइप काट दिए गए थे ...... ताकि ट्रेन आगे बढ़ ही नहीं सके......! जो लोग जलती ट्रेन से किसी प्रकार बाहर निकल भी गए तो.... उन्हें तेज हथियारों से काट दिया गया .... कुछ गहरे घाव की वजह से वहीँ मारे गए और कुछ बुरी तरह घायल हो गए....! अब सवाल उठता है कि.... हिन्दुओं ने सुबह 8 बजे ही दंगा क्यों नहीं शुरू कर किया बल्कि हिन्दू उस दिन दोपहर तक शांत बना रहा (ये बात आज तक किसी को नहीं दिखी है)....???????? असल में..... हिन्दुओं ने जवाब देना तब चालू किया जब उनके घरों , गावों , मोहल्लो में वो जली और कटी फटी लाशें पहुंची......! क्या ये लाशें हिन्दुओं को को मुसलमानों की तरफ से गिफ्ट थी जो हिन्दुओं को शांत बैठना चाहिए था .....सेकुलर बन कर ???????

हिन्दू सड़क पर उतरे 27 फ़रवरी 2002 की दोपहर से.....! पुरे एक दिन हिन्दू शांति से घरो में बैठे रहे....| अगर वो दंगा हिन्दुओं ने या मोदी ने करना था तो 27 फ़रवरी 2002 की सुबह 8 बजे से ही क्यों नहीं चालू हुआ....??? जबकि मोदी ने 28 फ़रवरी 2002 की शाम को ही आर्मी को सडको पर लाने का आदेश दिया जो कि अगले ही दिन 1 मार्च 2002 को हो गया और सडको पर आर्मी उतर आयी ..... गुजरात को जलने से बचाने के लिए....! पर भीड़ के आगे आर्मी भी कम पड़ रही थी तो 1 मार्च 2002 को ही मोदी ने अपने पडोसी राज्यों से सुरक्षा कर्मियों की मांग करी...! ये पडोसी राज्य थे महाराष्ट्र (कांग्रेस शासित- विलास राव देशमुख -मुख्य मंत्री), मध्य प्रदेश (कांग्रेस शासित- दिग्विजय सिंह -मुख्य मंत्री), राजस्थान (कांग्रेस शासित- अशोक गहलोत- मुख्य मंत्री) और पंजाब (कांग्रेस शासित- अमरिंदर सिंह मुख्य मंत्री) ...! क्या कभी किसी ने भी.......... इन माननीय मुख्यमंत्रियों से एक बार भी पुछा है कि ........ अपने सुरक्षाकर्मी क्यों नहीं भेजे गुजरात में जबकि गुजरात ने आपसे सहायता मांगी थी..........??????? या ये एक सोची समझी गूढ़ राजनितिक विद्वेष का परिचायक था.... इन प्रदेशो के मुख्यमंत्रियों का गुजरात को सुरक्षा कर्मियों का ना भेजना...???? उसी 1 मार्च 2002 को हमारे राष्ट्रीय मानवाधिकार (National Human Rights) वालो ने मोदी को अल्टीमेटम दिया ३ दिन में पुरे घटनाक्रम का रिपोर्ट पेश करने के लिए ...! लेकिन... कितने आश्चर्य की बात है कि... यही राष्ट्रीय मानवाधिकार वाले २७ फ़रवरी २००२ और 28 फ़रवरी 2002 को गायब रहे ..... इन मानवाधिकार वालो ने तो पहले दिन के ट्रेन के फूंके जाने पर ये रिपोर्ट भी नहीं माँगा कि क्या कदम उठाया गया गुजरात सरकार के द्वारा...! एक ऐसे ही सबसे बड़े घटना क्रम में दिखाए गए या कहे तो बेचे गए........ “गुलबर्ग सोसाइटी” के जलने की....... इस गुलबर्ग सोसाइटी ने पुरे मीडिया का ध्यान अपने तरफ खींच लिया | यहाँ एक पूर्व सांसद एहसान जाफरी साहब रहते थे......! इन महाशय का ना तो एक भी बयान था २७ फरवरी २००२ को और ना ही ये डरे थे उस समय तक.......! लेकिन...... जब २८ फरवरी २००२ की सुबह जब कुछ लोगो ने इनके घर को घेरा जिसमे कुछ कुछ तथाकथित मुसलमान भी छुपे हुए थे..... तो एहसान जाफरी जी ने भीड़ पर गोली चलवा दिया ........ अपने लोगो से जिसमे 2 हिन्दू मरे और 13 हिन्दू गंभीर रूप से घायल हो गए.....! जब इस घटनाक्रम के बाद इनके घर पर भीड़ बढ़ने लगी तो ये अपने यार-दोस्तों को फ़ोन करने लगे और तभी गैस सिलिंडर के फटने से कुल 42 लोगों की मौत हो गयी....! यहाँ शायद भीड़ के आने पर ही एहसान साहब को पुलिस को फ़ोन करना चाहिए था ना कि खुद के बन्दों के द्वारा गोली चलवाना चाहिए था....! पर इन्होने गोली चलाने के बाद फ़ोन किया डाइरेक्टर जेनेरल ऑफ़ पुलिस (DGP ) को......! यहाँ एक और झूठ सामने आया..... जब अरुंधती रॉय जैसी लेखिका तक ने यहाँ तक लिख दिया कि ... एहसान जाफरी की बेटी को नंगा करके बलात्कार के बाद मारा गया और साथ ही एहसान जाफरी को भी.....! लेकिन..... यहाँ एहसान जाफरी के बड़े बेटे ने ही पोल खोल दी कि .... जिस दिन उसके पिता की जान गई उस दिन उसकी बहन तो अमेरिका में थी और अभी भी रहती है.....! तो यहाँ.......... कौन किसको झूठे केस में फंसाना चाह रहा है ये साफ़ है....! अब यहाँ तक तो सही था.............. पर............. गोधरा में साबरमती को कैसे इस दंगे से अलग किया जाता और हिन्दुओं को इसके लिए आरोपित किया जाता ...! इसके लिए लोग गोधरा के दंगे को ऐसे तो संभाल नहीं सकते थे ...अपने शब्दों से.... तो एक कहानी प्रकाश में आई.....! कहानी थी कि .... कारसेवक गोधरा स्टेशन पर चाय पीने उतरे और चाय देने वाला जो कि एक मुसलमान था उसको पैसे नहीं दिए… जबकि गुजराती अपनी ईमानदारी के लिए ही जाने जाते हैं…! चलिए छोडिये ये धर्मान्धो की कहानी में कभी दिखेगा ही नहीं.... आगे बढ़ते हैं...| अब कारसेवको ने पैसा तो दिया नहीं बल्कि मुसलमान की दाढ़ी खींच कर उसको मारने लगे तभी उस बूढ़े मुसलमान की बेटी जो की 16 साल की बताई गई वो आई तो कारसेवको ने उसको बोगी में खींच कर बोगी का दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया ..! और इसीके के प्रतिफल में....... मुसलमानों ने ट्रेन में आग लगा दी और 58 लोगो को मार दिया..... जिन्दा जलाकर या काट कर.....! अब अगर इस मनगढ़ंत कहानी को मान भी लें तो कई सवाल उठते हैं:- क्या उस बूढ़े मुसलमान चाय वाले ने रेलवे पुलिस को इत्तिला किया...??????? रेलवे पुलिस उस ट्रेन को वहाँ से जाने नहीं देती या लड़की को उतार लिया जाता..... उस बूढ़े चाय वाले ने 27 फ़रवरी 2002 को कोई FIR क्यों नहीं दाखिल किया...????? 5 मिनट में ही सैकड़ो लीटर पेट्रोल और इतनी बड़ी भीड़ आखिर जुटी कैसे....???????? सुबह 8 बजे सैकड़ो लीटर पेट्रोल आखिर आया कहाँ से...................?????????एक भी केस 27 फ़रवरी २००२ की तारीख में मुसलमानों के द्वारा क्यों नहीं दाखिल हुआ..........??????? अब रेलवे पुलिस कि जांच में ये बात सामने आई कि ...... उस दिन गोधरा स्टेसन पर कोई ऐसी घटना हुई ही नहीं थी...! ना तो चाय वाले के साथ कोई झगडा हुआ था और ना ही किसी लड़की के साथ में कोई बदतमीजी या अपहरण की घटना हुई.....! इसके बाद आयी नानावती रिपोर्ट में कहा गया है कि .... जमीअत-उलमा-इ-हिंद का हाथ था उन 58 लोगो के जलने में और ट्रेन के जलने में....! उससे भी बड़ी बात कि.....दंगे में 720 मुसलमान मरे तो 250 हिन्दू भी मरे.....! मुसलमानों के मरने का सभी शोक मनाते हैं........चाहे वो सेकुलर हिन्दू हो.... चाहे वो मुसलमान हो या चाहे वो राजनेता या मीडिया हो ! पर दंगे में 250 मरे हुए हिन्दुओं और साबरमती ट्रेन में मरे 58 हिंदुवो को कोई नहीं पूछता है....कोई बात तक नहीं करता है ..! सभी को केवल मरे हुए मुसलमान ही दिखते हैं...! एक और बात काबिले गौर है क्या किसी भी मुस्लिम लीडर का बयान आया था साबरमती ट्रेन के जलने पर....??????? क्या किसी मुस्लिम लीडर ने साबरमती ट्रेन को चिता बनाने के लिए खेद प्रकट किया.....????????? इसीलिए सच को जानिए...... और जो भी गुजरात दंगे की बात करे अथवा नरेन्द्र मोदी के बारे में बोले....... उसे उसी की भाषा में जबाब दें....! गुजरात दंगा..... मुस्लिमों के द्वारा शुरू किया गया था..... और हम हिन्दुओं को उनसे इस बात का जबाब मांगना चाहिए..... और उन्हें जिम्मेदार ठहराना चाहिए....! अथवा... क्या वे लाशें हिन्दुओं को को मुसलमानों की तरफ से गिफ्ट थी जो हिन्दुओं को शांत बैठना चाहिए था .....?????? जय महाकाल...!!!

स्रोत: जय हिंद -हिन्दू भारत का लेख... dated 2 may 2012 नोट: इस पोस्ट को इतना शेयर करें कि..... कट्टरपंथी मुस्लिमों और सेकुलरों की बोलती बंद हो जाए..... तथा भारत के बच्चे-बच्चे की जुबान पर ये सच आ जाये...... तभी हम नरेन्द्र भाई मोदी के दुश्मनों को मुंहतोड़ जबाब दे पाएंगे... —



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आइये जाने क्या है इस कैलेण्डर का इतिहास - अंग्रेजो का फर्जी केलिन्डर ......



आइये जाने क्या है इस कैलेण्डर का इतिहास - अंग्रेजो का फर्जी केलिन्डर ......
दुनिया का लगभग प्रत्येक कैलेण्डर सर्दी के बाद बसंत ऋतू से ही प्रारम्भ होता है , यहाँ तक की ईस्वी सन बाला कैलेण्डर ( जो आजकल प्रचलन में है ) वो भी मार्च से प्रारम्भ होना था . इस कलेंडर को बनाने में कोई नयी खगोलीये गणना करने के बजाये सीधे से भारतीय कैलेण्डर ( विक्रम संवत ) में से ही उठा लिया गया था . आइये जाने क्या है इस कैलेण्डर का इतिहास -
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दुनिया में सबसे पहले तारो, ग्रहों, नक्षत्रो आदि को समझने का सफल प्रयास भारत में ही हुआ था, तारो , ग्रहों , नक्षत्रो , चाँद , सूरज ,...... आदि की गति को समझने के बाद भारत के महान खगोल शास्त्रीयो ने भारतीय कलेंडर ( विक्रम संवत ) तैयार किया , इसके महत्त्व को उस समय सारी दुनिया ने समझा .
भारतीय महीनों के नाम जिस महीने की पूर्णिया जिस नक्षत्र में पड़ती है उसी के नाम पर पड़ा। जैसे इस महीने की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में हैं इस लिए इसे चैत्र महीनें का नाम हुआ।
श्री मद्भागवत के द्वादश स्कन्ध के द्वितीय अध्याय के अनुसार जिस समय सप्तर्षि मघा नक्षत्र पर ये उसी समय से कलियुग का प्रारम्भ हुआ, महाभारत और भागवत के इस खगोलिय गणना को आधार मान कर विश्वविख्यात डॉ. वेली ने यह निष्कर्ष दिया है कि कलयुग का प्रारम्भ 3102 बी.सी. की रात दो बजकर 20 मिनट 30 सेकण्ड पर हुआ था।
डॉ. बेली महोदय, स्वयं आश्चर्य चकित है कि अत्यंत प्रागैतिहासिक काल में भी भारतीय ऋणियों ने इतनी सूक्ष्तम् और सटिक गणना कैसे कर ली। क्रान्ती वृन्त पर 12 हो महीने की सीमायें तय करने के लिए आकाश में 30-30 अंश के 12 भाग किये गये और नाम भी तारा मण्डलों के आकृतियों के आधार पर रखे गये। जो मेष, वृष, मिथून इत्यादित 12 राशियां बनी।
चूंकि सूर्य क्रान्ति मण्डल के ठी केन्द्र में नहीं हैं, अत: कोणों के निकट धरती सूर्य की प्रदक्षिणा 28 दिन में कर लेती है और जब अधिक भाग वाले पक्ष में 32 दिन लगता है। प्रति तीन वर्ष में एक मास अधिक मास कहलाता है संयोग से यह अधिक मास अगले महीने ही प्रारम्भ हो रहा है।
भारतीय काल गणना इतनी वैज्ञानिक व्यवस्था है कि सदियों-सदियों तक एक पल का भी अन्तर नहीं पड़ता
जब कि पश्चिमी काल गणना में वर्ष के 365.2422 दिन को 30 और 31 के हिसाब से 12 महीनों में विभक्त करते है। इस प्रकार प्रतयेक चार वर्ष में फरवरी महीनें को लीपइयर घोषित कर देते है फिर भी। नौ मिनट 11 सेकण्ड का समय बच जाता है तो प्रत्येक चार सौ वर्षो में भी एक दिन बढ़ाना पड़ता है तब भी पूर्णाकन नहीं हो पाता है। अभी 10 साल पहले ही पेरिस के अन्तरराष्ट्रीय परमाणु घड़ी को एक सेकण्ड स्लो कर दिया गया फिर भी 22 सेकण्ड का समय अधिक चल रहा है।
यह पेरिस की वही प्रयोगशाला है जहां की सी जी एस सिस्टम से संसार भर के सारे मानक तय किये जाते हैं। रोमन कैलेण्डर में तो पहले 10 ही महीने होते थे।
किंगनुमापाजुलियस ने 355 दिनों का ही वर्ष माना था। जिसे में जुलियस सीजर ने 365 दिन घोषित कर दिया और उसी के नाम पर एक महीना जुलाई बनाया गया उसके 1 ) सौ साल बाद किंग अगस्ट्स के नाम पर एक और महीना अगस्ट भी बढ़ाया गया चूंकि ये दोनो राजा थे इस लिए इनके नाम वाले महीनों के दिन 31 ही रखे गये।
आज के इस वैज्ञानिक युग में भी यह कितनी हास्यास्पद बात है कि लगातार दो महीने के दिन समान है जबकि अन्य महीनों में ऐसा नहीं है। यदि नहीं जिसे हम अंग्रेजी कैलेण्डर का नौवा महीना सितम्बर कहते है, दसवा महीना अक्टूबर कहते है, इग्यारहवा महीना नवम्बर और बारहवा महीना दिसम्बर कहते है। इनके शब्दों के अर्थ भी लैटिन भाषा में 7,8,9 और 10 होते है। भाषा विज्ञानियों के अनुसार भारतीय काल गणना पूरे विश्व में व्याप्त थी और सचमूच सितम्बर का अर्थ सप्ताम्बर था, आकाश का सातवा भाग, उसी प्रकार अक्टूबर अष्टाम्बर, नवम्बर तो नवमअम्बर और दिसम्बर दशाम्बर है।
सन् 1608 में एक संवैधानिक परिवर्तन द्वारा एक जनवरी को नव वर्ष घोषित किया गया। जेनदअवेस्ता के अनुसार धरती की आयु 12 हजार वर्ष है। जबकि बाइविल केवल 2) हजार वर्ष पुराना मानता है। चीनी कैलेण्डर 1 ) करोड़ वर्ष पुराना मानता है। जबकि खताईमत के अनुसार इस धरती की आयु 8 करोड़ 88 लाख 40 हजार तीन सौ 11 वर्षो की है। चालडियन कैलेण्डर धरती को दो करोड़ 15 लाख वर्ष पुराना मानता है। फीनीसयन इसे मात्र 30 हजार वर्ष की बताते है। सीसरो के अनुसार यह 4 लाख 80 हजार वर्ष पुरानी है। सूर्य सिध्दान्त और सिध्दान्त शिरोमाणि आदि ग्रन्थों में चैत्रशुक्ल प्रतिपदा रविवार का दिन ही सृष्टि का प्रथम दिन माना गया है।
संस्कृत के होरा शब्द से ही, अंग्रेजी का आवर (Hour) शब्द बना है। इस प्रकार यह सिद्ध हो रहा है कि वर्ष प्रतिपदा ही नव वर्ष का प्रथम दिन है। एक जनवरी को नव वर्ष मनाने वाले दोहरी भूल के शिकार होते है क्योंकि भारत में जब 31 दिसम्बर की रात को 12 बजता है तो ब्रीटेन में सायं काल होता है, जो कि नव वर्ष की पहली सुबह हो ही नहीं सकता। और जब उनका एक जनवरी का सूर्योदय होता है, तो यहां के Happy New Year वालों का नशा उतर चुका रहता है। सन सनाती हुई ठण्डी हवायें कितना भी सूरा डालने पर शरीर को गरम नहीं कर पाती है। ऐसे में सवेरे सवेरे नहा धोकर भगवान सूर्य की पूजा करना तो अत्यन्त दुस्कर रहता है। वही पर भारतीय नव वर्ष में वातावरण अत्यन्त मनोहारी रहता है। केवल मनुष्य ही नहीं अपितु जड़ चेतना नर-नाग यक्ष रक्ष किन्नर-गन्धर्व, पशु-पक्षी लता, पादप, नदी नद, देवी देव व्यरष्टि से समष्टि तक सब प्रसन्न हो कर उस परम् शक्ति के स्वागत में सन्नध रहते है।

लेकिन यह इतना अधिक व्यापक था कि - आम आदमी इसे आसानी से नहीं समझ पाता था , खासकर पश्चिम जगत के अल्पज्ञानी तो बिल्कुल भी नहीं . किसी भी बिशेष दिन , त्यौहार आदि के बारे में जानकारी लेने के लिए विद्वान् ( पंडित ) के पास जाना पड़ता था . अलग अलग देशों के सम्राट और खगोल शास्त्री भी अपने अपने हिसाब से कैलेण्डर बनाने का प्रयास करते रहे .

इसके प्रचलन में आने के 57 बर्ष के बाद सम्राट आगस्तीन के समय में पश्चिमी कैलेण्डर ( ईस्वी सन ) विकसित हुआ . लेकिन उस में कुछ भी नया खोजने के बजाये , भारतीय कैलेंडर को लेकर सीधा और आसान बनाने का प्रयास किया था . प्रथ्वी द्वरा 365 / 366 में होने बाली सूर्य की परिक्रमा को बर्ष और इस अबधि में चंद्रमा द्वारा प्रथ्वी के लगभग 12 चक्कर को आधार मान कर कैलेण्डर तैयार किया और क्रम संख्या के आधार पर उनके नाम रख दिए गए . पहला महीना मार्च (एकम्बर) से नया साल प्रारम्भ होना था

1. - एकाम्बर ( 31 ) , 2. - दुयीआम्बर (30) , 3. - तिरियाम्बर (31) , 4. - चौथाम्बर (30) , 5.- पंचाम्बर (31) , 6.- षष्ठम्बर (30) , 7. - सेप्तम्बर (31) , 8.- ओक्टाम्बर (30) , 9.- नबम्बर (31) , 10.- दिसंबर ( 30 ) , 11.- ग्याराम्बर (31) , 12.- बारम्बर (30 / 29 ), निर्धारित किया गया . ( सेप्तम्बर में सप्त अर्थात सात , अक्तूबर में ओक्ट अर्थात आठ , नबम्बर में नव अर्थात नौ , दिसंबर में दस का उच्चारण महज इत्तेफाक नहीं है.

लेकिन फिर सम्राट आगस्तीन ने अपने जन्म माह का नाम अपने नाम पर आगस्त ( षष्ठम्बर को बदलकर) और भूतपूर्व महान सम्राट जुलियस के नाम पर - जुलाई (पंचाम्बर) रख दिया . इसी तरह कुछ अन्य महीनों के नाम भी बदल दिए गए . फिर बर्ष की शरुआत ईसा मसीह के जन्म के 6 दिन बाद (जन्म छठी) से प्रारम्भ माना गया . नाम भी बदल इस प्रकार कर दिए गए थे . जनवरी (31) , फरबरी (30 / 29 ), मार्च ( 31 ) , अप्रैल (30) , मई (31) , जून (30) , जुलाई (31) , अगस्त (30) , सेप्तम्बर (31) , अक्तूबर (30) , नबम्बर (31) , दिसंबर ( 30) , माना गया .

फिर अचानक सम्राट आगस्तीन को ये लगा कि - उसके नाम बाला महीना आगस्त छोटा (30 दिन) का हो गया है तो उसने जिद पकड़ ली कि - उसके नाम बाला महीना 31 दिन का होना चाहिए . राजहठ को देखते हुए खगोल शास्त्रीयों ने जुलाई के बाद अगस्त को भी 31 दिन का कर दिया और उसके बाद वाले सेप्तम्बर (30) , अक्तूबर (31) , नबम्बर (30) , दिसंबर ( 31) का कर दिया . एक दिन को एडजस्ट करने के लिए पहले से ही छोटे महीने फरवरी को और छोटा करके ( 28/29 ) कर दिया .

मेरा आप सभी हिन्दुस्थानियों से निवेदन है कि - नकली कैलेण्डर के अनुसार नए साल पर, फ़ालतू का हंगामा करने के बजाये , पूर्णरूप से वैज्ञानिक और भारतीय कलेंडर (विक्रम संवत) के अनुसार आने वाले नव बर्ष प्रतिपदा पर , समाज उपयोगी सेवाकार्य करते हुए नवबर्ष का स्वागत करें ....


हिंदू नव वर्ष: हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा (इस बार 23 मार्च) से माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नव संवत भी कहते हैं।
ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी। इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल का आरंभ भी होता है। इसे गुड़ी पड़वा, उगादि आदि नामों से भारत के अनेक क्षेत्रों में मनाया जाता है।

इस्लामी नव वर्ष: इस्लामी कैलेंडर के अनुसार मोहर्रम महीने की पहली तारीख को मुसलमानों का नया साल हिजरी शुरू होता है। इस्लामी या हिजरी कैलेंडर एक चंद्र कैलेंडर है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में
इस्तेमाल होता है बल्कि दुनियाभर के मुसलमान भी इस्लामिक धार्मिक पर्वों को मनाने का सही समय जानने के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं।

ईसाई नव वर्ष: ईसाई धर्मावलंबी 1 जनवरी को नव वर्ष मनाते हंै। करीब 4000 वर्ष पहले बेबीलोन में नया वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी । तब रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। तब से आज तक ईसाई धर्म के लोग इसी दिन नया साल मनाते हैं। यह सबसे ज्यादा प्रचलित नव वर्ष है।

सिंधी नव वर्ष: सिंधी नव वर्ष चेटीचंड उत्सव से शुरु होता है, जो चैत्र शुक्ल दिवतीया को मनाया जाता है। सिंधी मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था जो वरुणदेव के अवतार थे।
सिक्ख नव वर्ष: पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है। जो अप्रैल में आती है। सिक्ख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होला मोहल्ला (होली के दूसरे दिन) नया साल होता है।
जैन नव वर्ष: ज़ैन नववर्ष दीपावली से अगले दिन होता है। भगवान महावीर स्वामी की मोक्ष प्राप्ति के अगले दिन यह शुरू होता है। इसे वीर निर्वाण संवत कहते हैं।
पारसी नव वर्ष: पारसी धर्म का नया वर्ष नवरोज के रूप में मनाया जाता है। आमतौर पर 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव पारसी लोग मनाते हैं। लगभग 3000 वर्ष पूर्व शाह जमशेदजी ने पारसी धर्म में नवरोज मनाने की शुरुआत की। नव अर्थात् नया और रोज यानि दिन।
हिब्रू नव वर्ष: हिब्रू मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे । इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है । यह दिन ग्रेगरी के कैलेंडर के मुताबिक 5 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच आता है।

Read more at: http://hindi.oneindia.in/astrology/2012/history-hindu-calender-vikram-samvat-2069-aid0046.html


भारतीय कैलेंडर
भारतीय कैलेंडर सूर्य एवं चंद्रमा की गति के आधार पर चलता है और यह शक संवत से आरंभ होता है जो कि सन ७९ के बराबर है। इसका प्रयोग धार्मिक तथा अन्य त्योहारों की तिथि निर्धारित करने के लिए किया जाता है। किन्तु आधिकारिक रूप से ग्रेगोरियन कैलेंडर का प्रयोग होता है।
क्र० माह दिन ग्रेगोरियन दिनांक
१ चैत्र ३० २२ मार्च
२ वैशाख ३१ २१ अप्रैल
३ ज्येष्ठ ३१ २२ मई
४ आषाढ़ ३१ २२ जून
५ श्रावण ३१ २३ जुलाई
६ भ्राद्रपद ३१ २३ अगस्त
७ अश्विन ३० २३ सितम्बर
८ कार्तिक ३० २३ अक्टूबर
९ अग्रहायण ३० २२ नवम्बर
१० पूस ३० २२ दिसम्बर
११ माघ ३० २१ जनवरी
१२ फाल्गुन ३० २० फरवरी


भारत में कालगणना का इतिहास
भारतवर्ष में ग्रहीय गतियों का सूक्ष्म अध्ययन करने की परम्परा रही है तथा कालगणना पृथ्वी, चन्द्र, सूर्य की गति के आधार पर होती रही तथा चंद्र और सूर्य गति के अंतर को पाटने की भी व्यवस्था अधिक मास आदि द्वारा होती रही है। संक्षेप में काल की विभिन्न इकाइयां एवं उनके कारण निम्न प्रकार से बताये गये-

दिन अथवा वार- सात दिन- पृथ्वी अपनी धुरी पर १६०० कि.मी. प्रति घंटा की गति से घूमती है, इस चक्र को पूरा करने में उसे २४ घंटे का समय लगता है। इसमें १२ घंटे पृथ्वी का जो भाग सूर्य के सामने रहता है उसे अह: तथा जो पीछे रहता है उसे रात्र कहा गया। इस प्रकार १२ घंटे पृथ्वी का पूर्वार्द्ध तथा १२ घंटे उत्तरार्द्ध सूर्य के सामने रहता है। इस प्रकार १ अहोरात्र में २४ होरा होते हैं। ऐसा लगता है कि अंग्रेजी भाषा का ण्दृद्वद्ध शब्द ही होरा का अपभ्रंश रूप है। सावन दिन को भू दिन भी कहा गया।

सौर दिन-पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा 1 लाख कि.मी. प्रति घंटा की रफ्तार से कर रही है। पृथ्वी का 10 चलन सौर दिन कहलाता है।

चान्द्र दिन या तिथि- चान्द्र दिन को तिथि कहते हैं। जैसे एकम्, चतुर्थी, एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या आदि। पृथ्वी की परिक्रमा करते समय चन्द्र का 12 अंश तक चलन एक तिथि कहलाता है।

सप्ताह- सारे विश्व में सप्ताह के दिन व क्रम भारत वर्ष में खोजे गए क्रम के अनुसार ही हैं। भारत में पृथ्वी से उत्तरोत्तर दूरी के आधार पर ग्रहों का क्रम निर्धारित किया गया, यथा- शनि, गुरु, मंगल, सूर्य, शुक्र, बुद्ध और चन्द्रमा। इनमें चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे पास है तो शनि सबसे दूर। इसमें एक-एक ग्रह दिन के 24 घंटों या होरा में एक-एक घंटे का अधिपति रहता है। अत: क्रम से सातों ग्रह एक-एक घंटे अधिपति, यह चक्र चलता रहता है और 24 घंटे पूरे होने पर अगले दिन के पहले घंटे का जो अधिपति ग्रह होगा, उसके नाम पर दिन का नाम रखा गया। सूर्य से सृष्टि हुई, अत: प्रथम दिन रविवार मानकर ऊपर क्रम से शेष वारों का नाम रखा गया।

निम्न तालिका से सातों दिनों के क्रम को हम सहज समझ सकते हैं-
चन्द्र बुध शुक्र सूर्य मंगल बृह. शनि
४ ३ २ रवि १ - - -
११ १० ९ ८ ७ ६ ५
१८ १७ १६ १५ १४ १३ १२
सोम १ २४ २३ २२ २१ २० १९
८ ७ ६ ५ ४ ३ २
१५ १४ १३ १२ ११ १० ९
२२ २१ २० १९ १८ १७ १६
५ ४ ३ २ मंगल १ २४ २३
१२ ११ १० ९ ८ ७ ६
१९ १८ १७ १६ १५ १४ १३
२ बुध १ २४ २३ २२ २१ २०
९ ८ ७ ६ ५ ४ ३
१६ १५ १४ १३ १२ ११ १०
२३ २२ २१ २० १९ १८ १७
६ ५ ४ ३ २ बृह.१ २४
१३ १२ ११ १० ९ ८ ७
२० १९ १८ १७ १६ १५ १४
३ २ शुक्र १ २४ २३ २२ २१
१० ९ ८ ७ ६ ५ ४
१७ १६ १५ १४ १३ १२ ११
२४ २३ २२ २१ २० १९ १८
शनि १
पक्ष-पृथ्वी की परिक्रमा में चन्द्रमा का १२ अंश चलना एक तिथि कहलाता है। अमावस्या को चन्द्रमा पृथ्वी तथा सूर्य के मध्य रहता है। इसे ० (अंश) कहते हैं। यहां से १२ अंश चलकर जब चन्द्रमा सूर्य से १८० अंश अंतर पर आता है, तो उसे पूर्णिमा कहते हैं। इस प्रकार एकम् से पूर्णिमा वाला पक्ष शुक्ल पक्ष कहलाता है तथा एकम् से अमावस्या वाला पक्ष कृष्ण पक्ष कहलाता है।

मास- कालगणना के लिए आकाशस्थ २७ नक्षत्र माने गए (१) अश्विनी (२) भरणी (३) कृत्तिका (४) रोहिणी (५) मृगशिरा (६) आर्द्रा (७) पुनर्वसु (८) पुष्य (९) आश्लेषा (१०) मघा (११) पूर्व फाल्गुन (१२) उत्तर फाल्गुन (१३) हस्त (१४) चित्रा (१५) स्वाति (१६) विशाखा (१७) अनुराधा (१८) ज्येष्ठा (१९) मूल (२०) पूर्वाषाढ़ (२१) उत्तराषाढ़ (२२) श्रवणा (२३) धनिष्ठा (२४) शतभिषाक (२५) पूर्व भाद्रपद (२६) उत्तर भाद्रपद (२७) रेवती।

२७ नक्षत्रों में प्रत्येक के चार पाद किए गए। इस प्रकार कुल १०८ पाद हुए। इनमें से नौ पाद की आकृति के अनुसार १२ राशियों के नाम रखे गए, जो निम्नानुसार हैं-

(१) मेष (२) वृष (३) मिथुन (४) कर्क (५) सिंह (६) कन्या (७) तुला (८) वृश्चिक (९) धनु (१०) मकर (११) कुंभ (१२) मीन। पृथ्वी पर इन राशियों की रेखा निश्चित की गई, जिसे क्रांति कहते है। ये क्रांतियां विषुव वृत्त रेखा से २४ उत्तर में तथा २४ दक्षिण में मानी जाती हैं। इस प्रकार सूर्य अपने परिभ्रमण में जिस राशि चक्र में आता है, उस क्रांति के नाम पर सौर मास है। यह साधारणत: वृद्धि तथा क्षय से रहित है।

चान्द्र मास- जो नक्षत्र मास भर सायंकाल से प्रात: काल तक दिखाई दे तथा जिसमें चन्द्रमा पूर्णता प्राप्त करे, उस नक्षत्र के नाम पर चान्द्र मासों के नाम पड़े हैं- (१) चित्रा (२) विशाखा (३) ज्येष्ठा (४) अषाढ़ा (५) श्रवण (६) भाद्रपद (७) अश्विनी (८) कृत्तिका (९) मृगशिरा (१०) पुष्य (११) मघा (१२) फाल्गुनी। अत: इसी आधार पर चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विनी, कृत्तिका, मार्गशीर्ष, पौष, माघ तथा फाल्गुन-ये चन्द्र मासों के नाम पड़े।

उत्तरायण और दक्षिणायन-पृथ्वी अपनी कक्षा पर २३ ह अंश उत्तर पश्चिमी में झुकी हुई है। अत: भूमध्य रेखा से २३ ह अंश उत्तर व दक्षिण में सूर्य की किरणें लम्बवत् पड़ती हैं। सूर्य किरणों का लम्बवत् पड़ना संक्रान्ति कहलाता है। इसमें २३ ह अंश उत्तर को कर्क रेखा कहा जाता है तथा दक्षिण को मकर रेखा कहा जाता है। भूमध्य रेखा को ०० अथवा विषुव वृत्त रेखा कहते हैं। इसमें कर्क संक्रान्ति को उत्तरायण एवं मकर संक्रान्ति को दक्षिणायन कहते हैं।

वर्षमान- पृथ्वी सूर्य के आस-पास लगभग एक लाख कि.मी. प्रति घंटे की गति से १६६०००००० कि.मी. लम्बे पथ का ३६५ ह दिन में एक चक्र पूरा करती है। इस काल को ही वर्ष माना गया।
(क्रमश:)
काल गणना
इस काल का सूक्ष्मतम अंश परमाणु है तथा महत्तम अंश ब्राहृ आयु है। इसको विस्तार से बताते हुए शुक मुनि उसके विभिन्न माप बताते हैं:-

2 परमाणु- 1 अणु - 15 लघु - 1 नाड़िका
3 अणु - 1 त्रसरेणु - 2 नाड़िका - 1 मुहूत्र्त
3 त्रसरेणु- 1 त्रुटि - 30 मुहूत्र्त - 1 दिन रात
100 त्रुटि- 1 वेध - 7 दिन रात - 1 सप्ताह
3 वेध - 1 लव - 2 सप्ताह - 1 पक्ष
3 लव- 1 निमेष - 2 पक्ष - 1 मास
3 निमेष- 1 क्षण - 2 मास - 1 ऋतु
5 क्षण- 1 काष्ठा - 3 ऋतु - 1 अयन
15 काष्ठा - 1 लघु - 2 अयन - 1 वर्ष

शुक मुनि की गणना से एक दिन रात में 3280500000 परमाणु काल होते हैं तथा एक दिन रात में 86400 सेकेण्ड होते हैं। इसका अर्थ सूक्ष्मतम माप यानी 1 परमाणु काल 1 सेकंड का 37968 वां हिस्सा।

महाभारत के मोक्षपर्व में अ. 231 में कालगणना - निम्न है:-

15 निमेष - 1 काष्ठा
30 काष्ठा -1 कला
30 कला- 1 मुहूत्र्त
30 मुहूत्र्त- 1 दिन रात

दोनों गणनाओं में थोड़ा अन्तर है। शुक मुनि के हिसाब से 1 मुहूर्त में 450 काष्ठा होती है तथा महाभारत की गणना के हिसाब से 1 मुहूर्त में 900 काष्ठा होती हैं। यह गणना की भिन्न पद्धतियों को परिलक्षित करती है।

यह सामान्य गणना के लिए माप है। पर ब्रह्माण्ड की आयु के लिए, ब्रह्माण्ड में होने वाले परिवर्तनों को मापने के लिए बड़ी

कलियुग - 432000 वर्ष
2 कलियुग - द्वापरयुग - 864000 वर्ष
3 कलियुग - त्रेतायुग - 1296000 वर्ष
4 कलियुग - सतयुग - 1728000 वर्ष

चारों युगों की 1 चतुर्युगी - 4320000
71 चतुर्युगी का एक मन्वंतर - 306720000
14 मन्वंतर तथा संध्यांश के 15 सतयुग
का एक कल्प यानी - 4320000000 वर्ष

एक कल्प यानी ब्रह्मा का एक दिन, उतनी ही बड़ी उनकी रात इस प्रकार 100 वर्ष तक एक ब्रह्मा की आयु। और जब एक ब्रह्मा मरता है तो भगवान विष्णु का एक निमेष (आंख की पलक झपकने के काल को निमेष कहते हैं) होता है और विष्णु के बाद रुद्र का काल आरम्भ होता है, जो स्वयं कालरूप है और अनंत है, इसीलिए कहा जाता है कि काल अनन्त है।

शुकदेव महामुनि द्वारा वर्णित इस वर्णन को पढ़कर मन में प्रश्न आ सकता है कि ये सब वर्णन कपोलकल्पना है, बुद्धिविलास है। आज के वैज्ञानिक युग में इन बातों की क्या अहमियत है। परन्तु ये सब वर्ण कपोलकल्पना नहीं अपितु इसका सम्बंध खगोल के साथ है। भारतीय कालगणना खगोल पिण्डों की गति के सूक्ष्म निरीक्षण के आधार पर प्रतिपल, प्रतिदिन होने वाले उसके परिवर्तनों, उसकी गति के आधार पर यानी ठोस वैज्ञानिक सच्चाईयों के आधार पर निर्धारित हुई है। जबकि आज विश्व में प्रचलित ईसवी सन् की कालगणना में केवल एक बात वैज्ञानिक है कि उसका वर्ष पृथ्वी के सूर्य की परिक्रमा करने में लगने वाले समय पर आधारित है। बाकी उसमें माह तथा दिन का दैनंदिन खगोल गति से कोई सम्बंध नहीं है। जबकि भारतीय गणना का प्रतिक्षण, प्रतिदिन, खगोलीय गति से सम्बंध है।
कालगणना-३ : आदि से अंत तक जानने की अनूठी भारतीय विधि

लेखक - सुरेश सोनी
युगमान- 4,32,000 वर्ष में सातों ग्रह अपने भोग और शर को छोड़कर एक जगह आते हैं। इस युति के काल को कलियुग कहा गया। दो युति को द्वापर, तीन युति को त्रेता तथा चार युति को सतयुग कहा गया। चतुर्युगी में सातों ग्रह भोग एवं शर सहित एक ही दिशा में आते हैं।

वर्तमान कलियुग का आरंभ भारतीय गणना से ईसा से 3102 वर्ष पूर्व 20 फरवरी को 2 बजकर 27 मिनट तथा 30 सेकेंड पर हुआ था। उस समय सभी ग्रह एक ही राशि में थे। इस संदर्भ में यूरोप के प्रसिद्ध खगोलवेत्ता बेली का कथन दृष्टव्य है-

"हिन्दुओं की खगोलीय गणना के अनुसार विश्व का वर्तमान समय यानी कलियुग का आरम्भ ईसा के जन्म से 3102 वर्ष पूर्व 20 फरवरी को 2 बजकर 27 मिनट तथा 30 सेकेंड पर हुआ था। इस प्रकार यह कालगणना मिनट तथा सेकेण्ड तक की गई। आगे वे यानी हिन्दू कहते हैं, कलियुग के समय सभी ग्रह एक ही राशि में थे तथा उनके पञ्चांग या टेबल भी यही बताते हैं। ब्राहृणों द्वारा की गई गणना हमारे खगोलीय टेबल द्वारा पूर्णत: प्रमाणित होती है। इसका कारण और कोई नहीं, अपितु ग्रहों के प्रत्यक्ष निरीक्षण के कारण यह समान परिणाम निकला है।"। (Theogony of Hindus, by Bjornstjerna P. 32)

वैदिक ऋषियों के अनुसार वर्तमान सृष्टि पंच मण्डल क्रम वाली है। चन्द्र मंडल, पृथ्वी मंडल, सूर्य मंडल, परमेष्ठी मंडल और स्वायम्भू मंडल। ये उत्तरोत्तर मण्डल का चक्कर लगा रहे हैं।

मन्वन्तर मान- सूर्य मण्डल के परमेष्ठी मंडल (आकाश गंगा) के केन्द्र का चक्र पूरा होने पर उसे मन्वन्तर काल कहा गया। इसका माप है 30,67,20,000 (तीस करोड़ सड़सठ लाख बीस हजार वर्ष। एक से दूसरे मन्वन्तर के बीच 1 संध्यांश सतयुग के बराबर होता है। अत: संध्यांश सहित मन्वन्तर का माप हुआ 30 करोड़ 84 लाख 48 हजार वर्ष। आधुनिक मान के अनुसार सूर्य 25 से 27 करोड़ वर्ष में आकाश गंगा के केन्द्र का चक्र पूरा करता है।

कल्प- परमेष्ठी मंडल स्वायम्भू मंडल का परिभ्रमण कर रहा है। यानी आकाश गंगा अपने से ऊपर वाली आकाश गंगा का चक्कर लगा रही है। इस काल को कल्प कहा गया। यानी इसका माप है 4 अरब 32 करोड़ वर्ष (4,32,00,00,000)। इसे ब्रह्मा का एक दिन कहा गया। जितना बड़ा दिन, उतनी बड़ी रात, अत: ब्रह्मा का अहोरात्र यानी 864 करोड़ वर्ष हुआ।

ब्रह्मा का वर्ष यानी 31 खरब 10 अरब 40 करोड़ वर्ष
ब्रह्मा की 100 वर्ष की आयु अथवा ब्रह्माण्ड की आयु- 31 नील 10 अरब 40 अरब वर्ष (31,10,40,000000000 वर्ष)

भारतीय मनीषा की इस गणना को देखकर यूरोप के प्रसिद्ध ब्रह्माण्ड विज्ञानी कार्ल सेगन ने अपनी पुस्तक "क्दृद्मथ्र्दृद्म" में कहा "विश्व में हिन्दू धर्म एकमात्र ऐसा धर्म है जो इस विश्वास पर समर्पित है कि इस ब्रह्माण्ड में उत्पत्ति और क्षय की एक सतत प्रक्रिया चल रही है और यही एक धर्म है, जिसने समय के सूक्ष्मतम से लेकर बृहत्तम माप, जो समान्य दिन-रात से लेकर 8 अरब 64 करोड़ वर्ष के ब्राहृ दिन रात तक की गणना की है, जो संयोग से आधुनिक खगोलीय मापों के निकट है। यह गणना पृथ्वी व सूर्य की उम्र से भी अधिक है तथा इनके पास और भी लम्बी गणना के माप है।" कार्ल सेगन ने इसे संयोग कहा है यह ठोस ग्रहीय गणना पर आधारित है।

ऋषियों की अद्भुत खोज
हमारे पूर्वजों ने जहां खगोलीय गति के आधार पर काल का मापन किया, वहीं काल की अनंत यात्रा और वर्तमान समय तक उसे जोड़ना तथा समाज में सर्वसामान्य व्यक्ति को इसका ध्यान रहे इस हेतु एक अद्भुत व्यवस्था भी की थी, जिसकी ओर साधारणतया हमारा ध्यान नहीं जाता है। हमारे देश में कोई भी कार्य होता हो चाहे वह भूमिपूजन हो, वास्तुनिर्माण का प्रारंभ हो- गृह प्रवेश हो, जन्म, विवाह या कोई भी अन्य मांगलिक कार्य हो, वह करने के पहले कुछ धार्मिक विधि करते हैं। उसमें सबसे पहले संकल्प कराया जाता है। यह संकल्प मंत्र यानी अनंत काल से आज तक की समय की स्थिति बताने वाला मंत्र है। इस दृष्टि से इस मंत्र के अर्थ पर हम ध्यान देंगे तो बात स्पष्ट हो जायेगी।

संकल्प मंत्र में कहते हैं....
ॐ अस्य श्री विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्राहृणां द्वितीये परार्धे- अर्थात् महाविष्णु द्वारा प्रवर्तित अनंत कालचक्र में वर्तमान ब्रह्मा की आयु का द्वितीय परार्ध-वर्तमान ब्रह्मा की आयु के 50 वर्ष पूरे हो गये हैं। श्वेत वाराह कल्पे-कल्प याने ब्रह्मा के 51वें वर्ष का पहला दिन है।

वैवस्वतमन्वंतरे- ब्रह्मा के दिन में 14 मन्वंतर होते हैं उसमें सातवां मन्वंतर वैवस्वत मन्वंतर चल रहा है।

अष्टाविंशतितमे कलियुगे- एक मन्वंतर में 71 चतुर्युगी होती हैं, उनमें से 28वीं चतुर्युगी का कलियुग चल रहा है।

कलियुगे प्रथमचरणे- कलियुग का प्रारंभिक समय है।

कलिसंवते या युगाब्दे- कलिसंवत् या युगाब्द वर्तमान में 5104 चल रहा है।

जम्बु द्वीपे, ब्रह्मावर्त देशे, भारत खंडे- देश प्रदेश का नाम

अमुक स्थाने - कार्य का स्थान
अमुक संवत्सरे - संवत्सर का नाम
अमुक अयने - उत्तरायन/दक्षिणायन
अमुक ऋतौ - वसंत आदि छह ऋतु हैं
अमुक मासे - चैत्र आदि 12 मास हैं
अमुक पक्षे - पक्ष का नाम (शुक्ल या कृष्ण पक्ष)
अमुक तिथौ - तिथि का नाम
अमुक वासरे - दिन का नाम
अमुक समये - दिन में कौन सा समय
अमुक - व्यक्ति - अपना नाम, फिर पिता का नाम, गोत्र तथा किस उद्देश्य से कौन सा काम कर रहा है, यह बोलकर संकल्प करता है।

इस प्रकार जिस समय संकल्प करता है, उस समय से अनंत काल तक का स्मरण सहज व्यवहार में भारतीय जीवन पद्धति में इस व्यवस्था के द्वारा आया है।

काल की सापेक्षता - आइंस्टीन ने अपने सापेक्षता सिद्धांत में दिक् व काल की सापेक्षता प्रतिपादित की। उसने कहा, विभिन्न ग्रहों पर समय की अवधारणा भिन्न-भिन्न होती है। काल का सम्बन्ध ग्रहों की गति से रहता है। इस प्रकार अलग-अलग ग्रहों पर समय का माप भिन्न रहता है।

समय छोटा-बड़ा रहता है। इसकी जानकारी के संकेत हमारे ग्रंथों में मिलते हैं। पुराणों में कथा आती है कि रैवतक राजा की पुत्री रेवती बहुत लम्बी थी, अत: उसके अनुकूल वर नहीं मिलता था। इसके समाधान हेतु राजा योग बल से अपनी पुत्री को लेकर ब्राहृलोक गये। वे जब वहां पहुंचे तब वहां गंधर्वगान चल रहा था। अत: वे कुछ क्षण रुके। जब गान पूरा हुआ तो ब्रह्मा ने राजा को देखा और पूछा कैसे आना हुआ? राजा ने कहा मेरी पुत्री के लिए किसी वर को आपने पैदा किया है या नहीं? ब्रह्मा जोर से हंसे और कहा, जितनी देर तुमने यहां गान सुना, उतने समय में पृथ्वी पर 27 चर्तुयुगी बीत चुकी हैं और 28 वां द्वापर समाप्त होने वाला है। तुम वहां जाओ और कृष्ण के भाई बलराम से इसका विवाह कर देना। साथ ही उन्होंने कहा कि यह अच्छा हुआ कि रेवती को तुम अपने साथ लेकर आये। इस कारण इसकी आयु नहीं बढ़ी। यह कथा पृथ्वी से ब्राहृलोक तक विशिष्ट गति से जाने पर समय के अंतर को बताती है। आधुनिक वैज्ञानिकों ने भी कहा कि यदि एक व्यक्ति प्रकाश की गति से कुछ कम गति से चलने वाले यान में बैठकर जाए तो उसके शरीर के अंदर परिवर्तन की प्रक्रिया प्राय: स्तब्ध हो जायेगी। यदि एक दस वर्ष का व्यक्ति ऐसे यान में बैठकर देवयानी आकाशगंगा (Andromeida Galaz) की ओर जाकर वापस आये तो उसकी उमर में केवल 56 वर्ष बढ़ेंगे किन्तु उस अवधि में पृथ्वी पर 40 लाख वर्ष बीत गये होंगे।

योगवासिष्ठ आदि ग्रंथों में योग साधना से समय में पीछे जाना और पूर्वजन्मों का अनुभव तथा भविष्य में जाने के अनेक वर्णन मिलते हैं।

पश्चिमी जगत में जार्ज गेमोव ने अपनी पुस्तक one, two, three, infinity में इस समय में आगे-पीछे जाने के संदर्भ में एक विनोदी कविता लिखी थी-

There was a young girl named liss Bright
who could travel much faster than light
She departed one day
in an Einstein way
and came back on the previous night

अर्थात्- एक युवा लड़की, जिसका नाम मिस ब्राइट था, वह प्रकाश से भी अधिक वेग से यात्रा कर सकती थी। एक दिन वह आइंस्टीन विधि से यात्रा पर निकली और बीती रात्रि में वापस लौट आई।
(क्रमश:)
http://vaigyanik-bharat.blogspot.in/2010/06/blog-post_5312.html


यहाँ लेख पूर्न्यथा मेरे द्वारा लिखा हुआ नहीं हे…. ये विभिन्न पेजों ब्लॉग और साईट से इकठ्ठा किया हुआ लेख हे

Saturday, April 6, 2013

KAABA A HINDU TEMPLE TAKEN OVER BY MUSLIMS

KING VIKRAMADITYA INSCRIPTION ON A GOLD DISH HUNG INSIDE THE KAABA
In pure scientific study about the Historical Muhammad raises basic questions concerning the prophet's role as a moral paragon; the sources of Islamic law; and the God-given nature of the Koran. The scientists even doubt the existence of Muhammad. Scientists say that the Koran is a not a product of Muhammad or even of Arabia, but a collection of materials stitched together to meet the needs of a later age. There was no Islam until two or three hundred years after the traditional version at around 830CE. The Arab tribesmen who conquered in the seventh century vast territory were not Moslems, but were persons who worshiped idols and are scientists call them pagans.
Even though Prophet Muhammad was born in the full light of history the earliest document date about a century and a half after his death. Not only does this long lapse of time cast doubt on their accuracy, but internal evidence strongly suggests the Arabic sources were composed in the context of intense partisan quarrels over the prophet's life. The earliest sources like papyri, inscriptions, and coins on the prophet's life, contradict the standard biography. An inscription and a Greek account fix Muhammad's birth in 552, not 570. Muhammad's career took place not in Mecca but hundreds of kilometers to the north. Yehuda Nevo. The classical Arabic language was developed not in today's Saudi Arabia but in the Levant.
Long before Islam came in to existence, Kaaba, in Mecca in Saudi Arabia was a pilgrimage site. The word Kaaba might have come from the Tamil Language which originated around 1700BC. In Tamil Nadu Kabaalishwaran temple is Lord Shiva’s temple and Kabaali refers to Lord Shiva. The black stone at Kaaba is held sacred and holy in Islam and is called "Hajre Aswad" from the Sanskrit word Sanghey Ashweta or Non-white stone. The Shiva Lingam is also called Sanghey Ashweta. So what is in Kaaba could be the same what Hindus worship. The pedestal Maqam-E-Ibrahim at the centre of the Kaaba is octagonal in shape. In Hinduism, the pedestal of Brahma the creator is also octagonal in shape. Muslim pilgrims visiting the Kaaba temple go around it seven times. In no other mosque does the circumambulation prevail. Hindus invariably circumambulate or Pradakshina, around their deities. This is yet another proof that the Kaaba shrine is a pre-Islamic. In Shiva temples Hindus always practice circumambulation or Pradakshina. Just as in Hinduism, the custom of circumambulation by muslim pilgrims around the entire Kaaba building seven times shows that the claim that in Islam they don’t worship stones is not true.
Allah was one of the deities in Kaaba long before Islam was founded. It might come as a stunning revelation to many that the word ‘ALLAH’ itself is Sanskrit. In Sanskrit language Allah, Akka and Amba are synonyms. They signify a goddess or mother. The term ‘ALLAH’ forms part of Sanskrit chants invoking goddess Durga, also known as Bhavani, Chandi and Mahishasurmardini. The Islamic word for God is., therefore, not an innovation but the ancient Sanskrit appellation retained and continued by Islam. Allah means mother or goddess and mother goddess.
The King Vikramaditya inscription was found on a gold dish hung inside the Kaaba shrine in Mecca, proving beyond doubt that the Arabian Peninsula formed a part of his Indian Empire. (Ref: page 315 of a volume known as ‘Sayar-ul-Okul’ treasured in the Makhtab-e-Sultania library in Istanbul, Turkey). King Vikrama’s preachers had succeeded in spreading the Vedic Hindu sacred scriptures in Arabia and Arabs were once followers of the Indian Vedic way of life. The annual fair known as OKAJ which used to be held every year around the Kaaba temple in Mecca and the present annual hajj of the Muslims to the Kaaba is of earlier pre-Islamic congregation. . Even to this day ancient Siva emblems can be seen. It is the Shankara (Siva) stone that Muslim pilgrims reverently touch and kiss in the Kaaba.
Muslims shave their head and beard and don special sacred attire that consists of two seamless sheets of white cloth. One is to be worn round the waist and the other over the shoulders. Both these rites are remnants of the old Vedic practice of entering Hindu temples clean and with holy seamless white sheets. According to the Encyclopedia Britannica, the Kaaba has 360 idols. Traditional accounts mention that one of the deities among the 360 destroyed when the place was stormed was that of Saturn; another was of the Moon and yet another was one called Allah. That shows that in the Kaaba the Arabs worshipped the nine planets in pre-Islamic days. In India the practice of ‘Navagraha’ puja, that is worship of the nine planets, is still in vogue. Two of these nine are Saturn and Moon. In India the crescent moon is always painted across the forehead of the Siva symbol. Since that symbol was associated with the Siva emblem in Kaaba it came to be grafted on the flag of Islam.
The Hindu Vedic letter in Sanskrit "OM" if seen in a mirror one can see the Arabic numbers 786 and this is the most sacred number for Muslims and copies of the Arabic Koran have the mysterious figure 786 imprinted on them. In their ignorance simply they do not realize that this special number is nothing more than the holiest of Vedic symbols misread and none of the Arabic scholar has been able to determine how they chose 786 as the sacred for them. In short muslims are also going around Siva Lingam at Kaaba, seven times as Hindus go around it seven times.
A few miles away from Mecca are a big signboard which bars the entry of any non-Muslim into the area. This is a reminder of the days when the Kaaba was stormed and captured solely for the newly established faith of Islam. The object in barring entry of non-Muslims was obviously to prevent its recapture. Kaaba is clothed in a black shroud. This custom also originated from the days when it was thought necessary to discourage its recapture by camouflaging it.
Another Hindu tradition associated with the Kaaba is that of the sacred stream Ganga (sacred waters of the Ganges river). According to the Hindu tradition Ganga is also inseparable from the Shiva emblem as the crescent moon. Wherever there is a Siva emblem, Ganga must co-exist. True to that association a sacred fount exists near the Kaaba. Its water is held sacred because it has been traditionally regarded as Ganga since pre-Islamic times (Zam-Zam water).
 
http://www.youtube.com/watch?v=r8GzmFF2HYQ

http://www.youtube.com/watch?v=D9OtHaM0DDg

http://www.youtube.com/watch?v=GRx3Fe3wzyY

http://www.youtube.com/watch?v=ZPauABQhv6Y    

Wednesday, April 3, 2013

कुकर्मी अल्लाह

कुकर्मी अल्लाह : दूसरों की औरतो की योनियों में फुकता हैं, समझ आई बात तभी मुसलमान इतने बच्चे पैदा करने पर बोलते हैं सब अल्लाह का करम हैं |
Q21:91:और वह नारी जिसने अपने सतीत्व की रक्षा की थी, हमने उसके भीतर अपनी रूह फूँकी और उसे और उसके बेटेको सारे संसार के लिए एक निशानी बना दिया (91)
अल्लाह की रुह देखा आपने (?)
Q66:12 और इमरान की बेटी मरयम की मिसाल पेश ही है जिसने अपने सतीत्व की रक्षा की थी, फिर हमने उस स्त्री केभीतर अपनी रूह फूँक दी और उसने अपने रब के बोलों और उसकी किताबों की पुष्टि की और वह भक्ति-प्रवृत्तआज्ञाकारियों में से थी (12)
इस पर तो हदीस का प्रमाण भी बनता हैं | कुकर्म की बात आये और मोहम्मद के शब्द रह जाए ना इंसाफी होगी | हाला के हमारे अनुसार कुरान भी मोहम्मद के ही शब्द हैं पर कुछ भी हो जाए हमारे मुस्लिम भाइयो को तो सोचना ही नहीं हैं उनके लिए तो अल्लाह के शब्द हैं तो हदीस में वर्णित बच्चे पैदा करने का मोहम्मद का तकनिकी ज्ञान दिखता हू |
अनस बिन मलिक ने कहा कि रसूल ने बताया है , अल्लाह औरतों की योनी में फ़रिश्ते घुसा देता है. वह अन्दर घुसेहुए दुआ करते हैं " अल्लाह इस योनी में एक बूंद वीर्य टपका दे , जिस से अन्दर गोश्त का लोथड़ा जम जाये . तबअल्लाह बच्चा बना देता . और तय करता है कि , लड़का होगा या लड़की . , फिर अल्लाह बच्चे आयु , जीविका औरधर्म तय कर देता है . और फ़रिश्ते सारा विवरण लिख लेते हैं .सारी योनी में ही तय हो जाती हैं
. “Sahih” Al-Bukhari Volume 8. Hadith No.594
Bukhari Hadith (Arabic) Serial No.3333-
जोड़-तोड़ करने वाला अल्लाह: इंसानों वाली हरकते इस्लाम के ईश्वर में
Q03:54:और वे चाल चले तो अल्लाह ने भी उसका तोड़ किया और अल्लाह उत्तम तोड़ करनेवाला है (54)
चाल चलने वाला अल्लाह : तो मुसलमान क्यों ना चलेंगे अपनी चाले
Q08:30और याद करो जब इनकार करनेवाले तुम्हारे साथ चालें चल रहे थे कि तम्हें क़ैद रखें या तुम्हे क़त्ल कर दें या तुम्हेनिकाल बाहर करे। वे अपनी चालें चल रहे थे और अल्लाह भी अपनी चाल चल रहा था। अल्लाह सबसे अच्छी चाल चलताहै (30)
घात लगाने वाला अल्लाह : लुटेरो की तरह अल्लाह भी घात में रहता हैं
Q89:14निस्संदेह तुम्हारा रब घात में रहता है (14)
अल्लाह का अगवाड़ा-पिछवाडा
Q20:110:वह जानता है जो कुछ उनके आगे है और जो कुछ उनके पीछे है, किन्तु वे अपने ज्ञान से उसपर हावी नहीं होसकते (110)
अल्लाह आलसी सही पर थकता भी नहीं
Q50:39:निश्चय ही इसमें उस व्यक्ति के लिए शिक्षा-सामग्री है जिसके पास दिल हो या वह (दिल से) हाजिर रहकर कान लगाए (37) हमने आकाशों और धरती को और जो कुछ उनके बीच है छः दिनों में पैदा कर दिया और हमें कोई थकान न छू सकी (38) अतः जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब की प्रशंसा की तसबीह करो; सूर्योदय से पूर्व और सूर्यास्त के पूर्व, (39)
समझ आया के अल्लाह के गुण मोहम्मद के दिमाग की उपज रहे
अल्लाह का कद
साही बुखारी का प्रमाण
Adam was shaped completely like Allah; Adam was 60 cubits (30m) in height...(Sahih Bukhari, 8.74.246)
यानी आदम बिलकुल अल्लाह की तरह हैं; आदम कद में १०० फुट उचा हैं...
ये क्या गप्प्बाजो की तरह लंबी-२ छोडने की प्रतियोगिता कर रहे हैं |
साही मुस्लिम हदीस का प्रमाण
In Sahih Muslim we read:
Adam is the image of Allah… (Sahih Muslim, 32.6325)
आदम खुदा की छवि हैं, पूरा प्रकरण कुछ ऐसा हैं
Volume 8, Book 74, Number 246: Narrated Abu Huraira:
The Prophet said, "Allah created Adam in his complete shape and form (directly), sixty cubits (about 30 meters) in height. When He created him, He said (to him), "Go and greet that group of angels sitting there, and listen what they will say in reply to you, for that will be your greeting and the greeting of your offspring." Adam (went and) said, 'As-Salamu alaikum (Peace be upon you).' They replied, 'AsSalamu-'Alaika wa Rahmatullah (Peace and Allah's Mercy be on you). So they increased 'Wa Rahmatullah' The and form of Adam. Since then the creation of Adam's (offspring) (i.e. stature of human beings is being diminished continuously) to the present time."
रसूल ने कहा “अल्लाह ने आदम को अपनी पूरी छवि में बनाया, करीब १०० फुट उचा कद में | जब उसने उसे बनाया, तो (उससे) कहा, “जाओ और फरिश्तों को सजदा करो, वहा बैठो, और सुनो वे प्रत्युतर में क्या कहते हैं, वही तुम्हारे और तुम्हारी पीढियों के लिए अभिवादन होगा |
इतने प्रमाण काफी होंगे | पूरी कुरान इसी प्रकार की बिना सर पैर की बातो से भरी पड़ी हैं | हिन्दुओ के मानव शरीर धारी ईश्वर से तो मुसलमानों को बहुत समस्या हैं पर अब खुद के निक्कमे और आलसी अल्लाह के बारे में क्या करेंगे ? अल्लाह के गुणों के बारे में बताता तो लेख और लंबा हो जाता अभी उसके स्वरुप का अंदाजा आप लोंगो को लग गया होगा | अब किसी को भी संशय नहीं होना चाहिए के मुसलमान किसी निराकार ईश्वर की उपासना करते हैं जो इंसानों जैसा अल्लाह हैं तो उसकी मूर्ति भी बनाइ जा सकती हैं | इसलिए “तस्य अल्लाह प्रतिमा अस्ति” तो मिया भाइयो को वेद मंत्र का प्रयोग करते शोभा नहीं देता | इसलिए भी अल्लाह-ईश्वर एक नहीं हैं |
कुरान की आयतो की यहाँ पुष्टि कर सकते हैं |

http://tanzil.net/#trans/hi.farooq/
www.quranhindi.com  

Tuesday, April 2, 2013

देशद्रोही और हिन्दूविरोधी पार्टी है आप ....

मित्रो पोस्ट को पूरा पढिएगा, सभी लिंक को आप खुद चेक करियेगा
फिर तय कीजियेगा कि क्या आप इस देशद्रोही और हिन्दूविरोधी पार्टी के साथ है जो राजनीती में आने से पहले ही अपनी ओकात दिखा चुकी है....
मुस्लिम वोट के लिए इनका तुष्टीकरण देखिये-

1. भारतीय आर्मी के दो जबान के सर पाकिस्तानी सुअरों ने काट दिए पर केजरीवाल जी का कहना है पाकिस्तान से जंग नही होनी चाहिए
( मुस्लिम तुष्टीकरण एबम देशद्रोह)

लिंक देखिये -
http://timesofindia.indiatimes.com/india/Pak-army-act-unpardonable-but-war-is-undesirable-Kejriwal/articleshow/18049289.cms
(जबकि सभी पार्टियों ने पाकिस्तान के खिलाफ बयान दिया था)

2. अफजल गुरु की फांसी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की बदनामी हुई है।-
( मुस्लिम तुष्टीकरण एबम देशद्रोह)

लिंक देखिये-
http://hindi.yahoo.com/national-10191838-111003850.html
(काफी मुस्लिम ने अफज़ल की फांसी का विरोध किया था)


3. भारतीय आर्मी कश्मीरी लोगो को मारती है-
( मुस्लिम तुष्टीकरण एबम देशद्रोह)

लिंक देखिये
http://www.greaterkashmir.com/news/2013/Mar/6/army-responsible-for-killing-of-kashmiris-prashant-bhushan-41.asp
(कश्मीर में मुस्लिम चाहते है कि कश्मीर को भारत से अलग कर दिया जाये)

4. हिन्दू आतंकवाद आज चरम पर है-
( मुस्लिम तुष्टीकरण)

लिंक देखिये-
http://hindi.yahoo.com/national-10191838-111003850.html
(क्या आज तक किसी पार्टी ने यह कहा है कि मुस्लिम आतंकवाद आज चरम पर है)

5. कश्मीर को भारत से अलग कर दिया जाये-
( मुस्लिम तुष्टीकरण एबम देशद्रोह)

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=QQom1xy8kUM
(कश्मीर में मुस्लिम चाहते है कि कश्मीर को भारत से अलग कर दिया जाये)

6. बुखारी ने कहा अन्ना के आन्दोलन से बंदेमातरम् बंद कर दीजिये क्यूंकि मुस्लिम में बंदेमातरम् नही बोला जाता है, केजरीवाल ने बंद किया बंदेमातरम् और बाद में इसी बुखारी के पास मिलने भी गये

( मुस्लिम तुष्टीकरण एबम देशद्रोह)
लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=2wyufhKIyes
(क्या ऐसे लोगो का समर्थन लेना जरुरी था केजरीवाल को)

7. "आप" पार्टी की साईट पर एक खास कॉलम बनाया गया "Muslim Issus"
( मुस्लिम तुष्टीकरण)

लिंक देखिये-
http://www.aamaadmiparty.org/meettheteam.aspx
(क्या हिन्दुओ की कोई समस्या नही होती है, क्या मुस्लिम की आज देश में समस्या हैं?)

8. बुखारी की जामा मस्जिद पर 4 करोड़ का बिजली का बिल कई सालो से बकाया है पर न कांग्रेस कुछ कहती है न हमारे केजरीवाल जी
( मुस्लिम तुष्टीकरण)

लिंक देखिये-
http://www.indianexpress.com/news/jama-masjid-runs-up-rs-4cr-power-bill-spat-over-dues-has-area-in-dark/1007397/
(जबकि केजरीवाल बिजली बिल के खिलाफ इतना बड़ा आन्दोलन कर रहे हैं)

9. ओवेसी ने बयान दिया कि हम 100 करोड़ हिन्दुओ को खत्म कर देंगे और श्री राम को गलियां दिन पर केजरीवाल का कोई बयान ओवेसी के खिलाफ नही आया बल्कि सुदर्शन न्यूज़ को खबर दिखाने से मना किया-
( मुस्लिम तुष्टीकरण)

सुनिए रोंगटे खड़े कर देने वाले हिन्दू के खिलाफ इस विडियो को-
https://www.youtube.com/watch?v=BXFFR8NXG1E

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=HiyRCEDjLBs
(केजरीवाल भक्त कहते हैं कि सुदर्शन न्यूज़ चैनल को कोई कॉल नही किया गया है तो केजरीवाल ने ओवेसी का कहीं विरोध क्यूँ नही किया है, किसी भी मीडिया में ओवेसी के खिलाफ केजरीवाल का कोई बयान नही आया है)


10. कांग्रेस का हिन्दू विरोधी बिल का समर्थन...
( मुस्लिम तुष्टीकरण)

जानिए इस रोंगटे खड़े कर देने वाले हिन्दू के खिलाफ बिल को-
http://www.youtube.com/watch?v=vK9CkyVXi90

http://www.youtube.com/watch?v=Da1dtkeikew

केजरीवाल की साथ साजिया इल्मी का ट्विट देखिये
लिंक देखिये-
https://twitter.com/shaziailmi/status/156335195665072129
(केजरीवाल भक्त कहते हैं, हम इस बिल का समर्थन नही करते हैं तो फिर आपने अभी तक ऐसे हिन्दू विरोधी बिल के खिलाफ मीडिया में कोई बयान क्यूँ नही दिया है)

11. अरविन्द केजरीवाल के संस्था को फोर्ड फाउंडेशन से पैसे मिले -

http://www.ibtl.in/news/exclusive/1162/arvind-kejriwal-and-manish-sisodia--has-received-400-000-dollars-from-the-ford-foundation-in-the-last-three-years---arundhati-roy

12. जनता के पेसे से केजरीवाल एश कर रहे हैं, देखिये इस बिल को

लिंक देखिये-
http://www.bhaskar.com/article/NAT-india-against-corruption-movement-complete-fund-and-expenditure-details-3836280-PHO.html?seq=4&HT1=%3FBIG-PIC%3D

http://www.bhaskar.com/article/NAT-india-against-corruption-movement-complete-fund-and-expenditure-details-3836280-PHO.html?seq=5&HT1=%3FBIG-PIC%3D

13. अरविन्द केजरीवाल से प्रश्न पूछो और पिटाई खाओ!

लिंक देखिये-
http://www.punjabkesari.in/news/केजरीवाल-से-सवाल-पूछना-पड़ा-मंहगा-114388
(सभी पार्टी से सवाक पूछते रहते हैं और इनसे कोई सवाल करे तो उसको पीट देते हैं)

14. केजरीवाल पर घोटाले का तथ्य छुपाने का आरोप-

लिंक देखिये-
http://www.samaylive.com/nation-news-in-hindi/174062/yp-singh-slam-kejriwal-for-hiding-land-scam.html


15. कांग्रेस ने अपने विरोध को रोकने के लिए और अपने प्रचार के लिए सोशल मीडिया पर 100 करोड का खर्चा किया है पर केजरीवाल टीम ने खुलासा किया कि बीजेपी ने 100 का खर्चा किया है

लिंक देखीये-
http://www.governancenow.com/gov-next/egov/congress-plans-rs-100-crore-social-media-war-chest

16. केजरीवाल की साथी अंजलि दमानिया के घोटाले का पूरा लेखा झोका!

लिंक देखिये-
http://www.dnaindia.com/pune/report_activist-anjali-damania-a-land-shark-too_1746829

17. कुमार विश्वास 'ब्रह्मा विष्णु महेश' का मजाक उड़ाते हुए-
( मुस्लिम तुष्टीकरण)

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=CvANmaShh2U
(क्या मुस्लिम के खिलाफ कुछ बोल सकते हैं?)

18. जिस दिन केजरीवाल ने गडकरी के खिलाफ खुलासा किया था उसके अगले ही दिन ABP न्यूज़ चैनल उन किसानो के घर गया था और वहां जाकर पता चला कि गडकरी ने उनकी जमीन नही हडपी है और आज भी वो वहां खेती कर रहे हैं

लिंक देखिये:-

http://www.youtube.com/watch?v=2aYX2Ik5tgk

http://www.youtube.com/watch?v=HtGHcUjJlag

(अब समझ आया कि केजरीवाल केबल खुलासे ही क्यूं करते हैं कोर्ट क्यूँ नही जाते हैं क्यूंकि वहां तो इनके खुलासे चलेंगे नही अभी से झूट बोलता है राजनीति में आया तो न जाने क्या क्या करेगा?)

19. केजरीवाल टीम का पाकिस्तानी प्रेम:-
फेसबुक पर लिखते हैं "I love Pak"

लिंक देखिये-
http://www.bhaskar.com/article/TOW-i-love-my-pakista-status-deleted-by-facebook-4178960-NOR.html

20. केजरीवाल को यह चुनौती दी थी की अगर उनकी टीम में हिम्मत है तो वे जंतर मंतर में होने वाले debate में शामिल हों और मेरे तथा अन्य सदस्यों के सवालों का जवाब दें।
परन्तु टीम केजरीवाल का कोई भी सदस्य चर्चा में शामिल नहीं हुआ

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=XPJsKzWxbKw&list=UU1tnj_v8Sn-hWERFvqSjBWQ&index=9
(सभी पार्टी से सवाक पूछते रहते हैं और इनसे कोई सवाल करे तो भाग जाते हैं)

21. प्रशांत भूसन का हिमाचल प्रदेश के जमीन घोलते में फसे हुए हैं

लिंक देखिये-
http://ibnlive.in.com/news/himachal-pradesh-probe-begins-into-prashant-bhushans-land-deal/376046-3-254.html
(खुद की पार्टी में घोटाले हैं और लोगो से सवाल पूछते हैं)

22. प्रशांत भूसन के जज को 4 करोड़ की घुस देते हैं

लिंक देखिये-
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2011-04-17/india/29427409_1_forensic-experts-corruption-spectrum-scam
(खुद की पार्टी में चोर हैं और पार्टी में चोर बता रहे हैं)

23. शांति भूसन का 1.3 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी में पकड़े जाने और 27 लाख का जुरमाना भरा

लिंक देखिये-
http://www.ndtv.com/article/india/team-anna-s-shanti-bhushan-found-guilty-of-evading-1-3-crores-of-property-taxes-164319
(खुद की पार्टी में चोर हैं और पार्टी में चोर बता रहे हैं)

24. शांति भूसन का बैंगलोर में धमाके करने वाले आंतकवादी अब्दुल नससे मदनी को बचा था? इस आतंकवादी ने कितने ही बेगुनाओ की हत्या कर दी थी? क्या शांति भूसन का मदनी को अपने मित्र के नाते सजा से बचना सही है?

लिंक देखिये-
http://www.indianexpress.com/news/madani-may-pose-major-threat-if-released-ktaka-govt/783526
(खुद देशद्रोही को बचाते हैं)


25. शांति भूसन का नॉएडा/इलाहबाद के जमींन घोटाले में फंसने और आरोप सिद्ध भी हो चुके हैं

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=xRPmTOtFln8
(एक चोर पार्टी दूसरी पार्टी में चोर देख रही है)

26. शांति भुसन का आतंकवादी शौकत हुसैन गुरु जिसने 2001 में संसद पर आतंकी हमले किये थे उसको बचाना सही था?

लिंक देखिये-
http://www.indlawnews.com/Newsdisplay.aspx?5b7510bd-868e-4a1b-ad58-386ec7aeb7fd

28. शांति भूसन का मुंबई में 1993 में हुए बम धमाको में आरोपी आतंकवादियों को बचाना सही था?




लिंक देखिये-
http://news.google.co.nz/newspapers?id=luIVAAAAIBAJ&sjid=kRMEAAAAIBAJ&pg=2103%2C2936835

29 (कश्मीर दंगो, असम दंगो, सिख दंगो, अभी हाल हीमे हुए पश्चिम बंगाल दंगो,बंगलादेश दंगो, रामसेतु मुद्दे)हिन्दू विरोधी पर कुछ नही कहते फिर (गुजरात दंगो) मुस्लिम विरोधी पर सवाल उठाये
जबकि नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल चुकी है

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=gnNyH401nQc

अब भी कोई इस पार्टी के साथ है तो उससे बड़ा तुचिया कोई नही है

Monday, April 1, 2013

कोसीकलां (मथुरा) दंगे का पूरा सच–

साभार -- 

कोसीकलां दंगे का प्रारंभ और क्रमवार विश्लेषण-
१ जून २०१२, दिन शुक्रवार, तिथि निर्जला एकादशी, समय दोपहर २ बजे मुस्लिम समुदाय के जुमे की नमाज का समय| कोसीकलां में जिंदगी अपनी गति से बढ़ रही थी| दोपहर की नमाज समाप्त होने के पश्चात् सब्जी मंडी में एक व्यापारी देवा ने एक ग्राहक को सामान दे कर मस्जिद के निचे रखे ड्रम के पानी से हाथ धो लिया| उसी समय मस्जिद से निचे उतर रहे खालिद शेख ने व्यापारी देवा को ऐसा करते देख लिया और उसे फटकार दिया| देवा ने कहा की अगर आपका पानी ख़राब हो गया तो मैं क्षमा मांगता हूँ और ड्रम को दोबारा भरवा देता हूँ| देवा ने दोबारा ड्रम को पानी से भरवा दिया| दोबारा पानी भरवा देने के बाद भी खालिद शेख अपने अहंकारवश देवा से मारपिट चालू कर दिया| खालिद के ऐसा करने का अन्य हिन्दू व्यापारी बन्धुवों ने विरोध किया| लेकिन खालिद ने मस्जिद से अन्य मुस्लिमों को बुला लिया हिन्दुओं के साथ बर्बरता पूर्वक मारपीट करता हुआ मस्जिद में वापस चला गया और उसके बाद मस्जिद में उपस्थित मुस्लिमो ने हिन्दुओं पर मस्जिद के अन्दर से ही पथराव चालू कर दिया| इतना ही नहीं खालिद ने कोसी नगर के मुस्लिम बहुल इलाके “निकासे” के मुस्लिमो को ये सुचना दे दी की हमारी मस्जिद को हिन्दुओं ने घेर लिया है और हमारे ऊपर हमला कर रहे हैं| ज्ञात हो की खालिद शेख ६ महिना भारत में रहता है और ६ महिना सउदी अरब में रहता है| वह सउदी अरब से कोसीकलां और उसके आसपास के क्षेत्रों के सभी मस्जिदों के लिए हवाला के जरिये धन मुहैया करता है| इतना ही नहीं खालिद शेख आई०एस०आई० का एजेंट भी है और मुस्लिम हितैषी सरकार जैसे कांग्रेस और सपा के साथ प्रगाढ़ सम्बन्ध बनाये हुए है और उनके हमेसा संपर्क में रहता है|
कोसीकलां का पाकिस्तान कहे जाने वाले मुस्लिम बहुल क्षेत्र “निकासे” से सैकड़ों की संख्या में उग्र मुसलमानों की भीड़ अपना आतंकवादी रूप दिखाते हुए अपने विभिन्न प्रकार के घातक हथियारों जैसे बम, पिस्तौल, पेट्रोल बम इत्यादि से लैस हो कर हिन्दुओं पर हमला करते हुए उक्त मस्जिद की तरफ बढ़ने लगे| लेकिन सब्जी मंडी मस्जिद और निकासे के बिच स्थित हिन्दू बहुल क्षेत्र “बल्देव गंज” के हिन्दू भाइयों ने निकासे के मुस्लिमो को मुहतोड़ जवाब दिया| इसपर गुस्साए मुसलमानों ने तबाही का जो मंजर प्रस्तुत किया वो दिल दहला देने वाला था|
निकासे सीमा पर स्थित पंजाब नेसनल बैंक में घुस कर मुसलमानों ने सिर्फ वहां की संपत्ति को केवल भारी नुकसान ही पहुँचाया बल्कि लूटपाट का भी प्रयास किया| इसका पूरा विवरण बैंक के सीसीटीवी कैमरे में कैद है जिसे अगर प्रदेश सरकार चाहे तो देख सकती है| लूटपाट में असफल होने के पश्चात् मुसलमानों ने बैंक को आग के हवाले कर दिया| बैंक के बाहर मुस्लिम दंगाई और बैंक के अन्दर आग| इसके बावजूद भी बैंक के अन्दर उपस्थित स्टाफ, कर्मचारियों और ग्राहकों ने इधर-उधर शरण ले कर जैसे-तैसे अपनी जान बचाई| मुसलमानों का गुस्सा और आतंकवादी गतिविधियाँ यही नहीं थमीं| मुसलमानों ने निकासे सीमा पर स्थित लगभग सभी हिन्दू घरों में घुस कर ना सिर्फ तोड़-फोड़ और लूटपाट करी बल्कि वहां मौजूद हिन्दू माताओं और बहनों से भी बड़ी ही अश्लीलता पूर्ण बद्तामिजियाँ कीं| दंगाइयों ने हिन्दुओं के घरों के निचे रखी उनकी कारों को आग के हवाले कर दिया| जिसके कारण कई हिन्दुओं के घर जल कर खाक हो गए| हिन्दुओं में बल्देव गंज और निकासे सीमा पर स्थित आर०के० गर्ग, गुड्डू हतानियाँ, किशन पंडित और प्रतिक जैन इत्यादि हिन्दू भाइयों के घर, वाहन, दुकान और गोदाम आदि की भारी हानी हुई| इनकी माता बहनों के साथ घर में घुस कर अमानवीय रूप से बदतमीजी की गई| मुस्लिम दंगाइयों ने आने-जाने वाले हिन्दू राहगीरों के करीब २ दर्जन वाहनों को आग के हवाले कर दिया और इनके साथ बड़ी बेरहमी से मारपीट कर बुरी तरह घायल कर दिया| मुस्लिम दंगाइयों की संख्या अचानक से इतनी बढ़ गई की इनका सामना करने का साहस किसी में नहीं था| यहाँ मुस्लिम दंगाई बल्देव गंज के युवाओं पर लगातार पत्थर और बम इत्यादि से हमले कर रहे थे| हिन्दुओं के पास मुसलमानों के सामान हथियार नहीं थे क्यूंकि प्रदेश सरकार ने अपने चुनाव पूर्व वादे के हिसाब से मुस्लिम बस्तियों में कैम्प लगा कर 1 दिन में ही करीब 200 पिस्तौल के लाइसेंस बांटे थे और ये पहला वादा था जो अखिलेश सिंह यादव की सपा सरकार ने पूरा किया था फिर भी उपलब्ध हथियारों से बल्देव गंज के हिन्दू युवाओं ने इन मुस्लिम आतताइयों का सामना कर इनके हमलों का मुहतोड़ जवाब दिया| मुसलमानों के आक्रोशित और आतंकी जत्थे ने पूरी सब्जी मंडी, अनाज मंडी और अनेक बाजारों इत्यादि को जला कर राख कर दिया|
इस दंगे की सूचना मिलते ही पुलिस प्रशासन घटना स्थलों पर पहुँच तो गया पर एक निरीह मूकदर्शक बन खड़ा रहा बस| मुसलमानों के इस पथराव में कई हिन्दू भाई घायल हो गए| मुस्लमान जब बम और गोलियां चला रहे थे तब ये नहीं देख रहे थे की सामने वाला हिन्दू उनका परिचित है या मिलने वाला व्यक्ति है| मुसलमान केवल यह सोच कर हमला कर रहे थे की सामने वाला हिन्दू है और इनको जान से मार डालो| देखते ही देखते एक घंटे के अंतराल में नगर की सभी मस्जिदों से हिन्दुओं पर पथराव और बम इत्यादि फेंके जाने लगे| ऐसा लग रहा था की ये हिन्दुओं पर हमला पूर्व नियोजित था और मानो हिन्दुओं पर इस हमले की तैयारी बहुत समय से हो रही थी| ये ठीक वैसे ही था जैसे सुबह ८ बजे गोधरा में २००२ में हजारो लीटर पेट्रोल अचानक से आ गया था जबकि इतने सुबह गुजरात में पेट्रोल पम्प नहीं खुलते हैं| इसके अलावा उन आतताई मुसलमानों का जत्था जहाँ कही से भी निकलता था वहां की हिन्दुओं की चीजों को आग लगाते हुए निकलता था| यह देख नगर के हिन्दू भाई भयभीत हो गए और उन्होंने ने आस पास में ग्रामीण इलाके में रह रहे अपने जानने वालों को फ़ोन पर सुचना दी इन आतंकी मुसलमानों के कृत्य के बारे में की कैसे मुस्लमान विध्वंश और आगजनी कर रहे हैं नगर में| जिसे सुन ग्रामीण इलाके से करीब १०-१५ हजार लोग अपने हाथों में बन्दुक और अन्य हथियार ले कर थोड़ी देर में कोसीकलां पहुँच इन आतंकी मुसलमानों को खदेड़ा|
इस बिच में मुसलमानों ने हिन्दुओं के सैनी मोहल्ले पर हमला बोल दिया| मुसलमानों ने बमबारी से वहां की अनेक महिलाओं को बुरी तरह घायल कर दिया| अनेक मकानों को तहस-नहस कर दिया और उनके घरों को लूटा| अश्लीलता का नंगा नाच वहां भी दिखाया मुसलमानों ने| इसका विरोध करने वाले माली समाज के एक युवक सोनू को गोलियों से छलनी कर दिया इन मुसलमानों ने| सोनू की मौके पर ही ह्रदय विदारक चीखों के साथ मृत्यु हो गई| उन दंगाइयों के जाने के बाद पुलिस भी पर्याप्त बल के साथ वहां पहुँच गई| इसके साथ ही आर०आर०एफ़० और आर०ए०एफ़ की अनेक गाड़ियाँ कोसी में हो रहे दंगे को शांत करने के लिए पहुँच गईं| इस दौरान हमारे ग्रामीण भाइयों ने मुस्लिमो के करीब १ दर्जन दुकानों को आग के हवाले कर दिया| करीब सायं ८ बजे पुलिस ने आकर पुरे नगर में कर्फ्यू लगा दिया| लेकिन कर्फ्यू लगने के बाद भी मुस्लिमो का कहर बंद नहीं हुआ| अर्धरात्रि तक उनके इलाके से गोलियों की आवाजें सुने देती रहीं|
इसके बाद 1 जून को दंगे वाले रात् को करीब ३ बजे कोसीकलां के मस्जिद से एक ऐलान सुनाई दिया की “सारे मुस्लिम तैयार रहें| अल्लाह तुम्हारे साथ है| ये तो बस एक शुरुवात भर है इंशा अल्लाह इस बार हम सभी मुसलमान मिल कर इन हिन्दुओं का सफाया कर देंगे| यह बड़े शबाब का काम है जो की अल्लाह ने तुमको दिया है| इन काफिरों को मरोगे तो अल्लाह तुम्हे जन्नत बख्सेगा|” यह ऐलान सुन सभी हिन्दू सहम गए और रात भर अपने छतों पर टहलते रहे|
खौफ के साये में रात गुजारने के बाद दुसरे दिन नगर की हालत काफी बिगड़ी हुई दिखाई दे रही थी| हर तरफ मृत्यु का सन्नाटा पसरा हुआ था| चारो तरफ बस आगजनी और तबाही का ही मंजर था| मुस्लिम दंगाइयों ने चुन चुन कर ऐसे गोदामों में आग लगाई थी जो हिन्दुओं की थीं और करोडो का सामान रखा हुआ था उसमे| यदि पिछली शाम को ग्रामीण लोग नहीं आये होते नगरीय लोगो की रक्षा हेतु तो शायद नगरीय क्षेत्र हिन्दू विहीन हो चूका होता| ग्रामीण बंधुओं का नगरिय लोग दिल से आभार प्रकट करते हैं|
मथुरा जिले के एस०पी०, एस०एस०पी०, आइ०जी०, डी०आइ०जी० और डी०एम० ही नहीं बल्कि आगरा और अलीगढ के सभी हेड कांस्टेबल, एस०ओ०, एस०डी०एम०, पी०ए०सी०, आर०ए०एफ़, आर०आर०एफ़० ने पुरे कोसीकलां को अपने कब्जे में ले लिया| दंगे के दौरान ड्यूटी पर तैनात सभी प्रशासनिक अधिकारीयों के तबादले कर दिए गए और जो लोग उनकी जगह पर आये वो आज़म खान (शहरी विकास मंत्री), इमाम बुखारी (शाही इमाम दिल्ली जामा मस्जिद) और मौलाना युसूफ मदानी के खास अधिकारी थे| अब इन गुलाम अधिकारीयों के नेतृत्व में दंगे की जाँच शुरू होने लगी| प्रशासन पर दबाव इस कदर था की ये अधिकारी हिन्दुओं के घरों पर ही छापा मारने लगे| मुसलमानों के मात्र कह भर देने से ही हिन्दुओं की धरपकड़ शुरू हो गई| दंगे वाले दिन चाहे कोई हिन्दू कोसीकलां में हो या ना हो उन्हें आरोपी दिखाया जाने लगा| जिन हिन्दुओं का नुकसान हुआ वो भी पुलिस रिकॉर्ड में दंगाई दिखाए गए| अगले माह होने वाले नगर पालिका चुनाव में खड़े होने वाले सभी हिन्दू प्रत्याशियों को दंगाई दिखा कर उनके खिलाफ एफ़०आइ०आर तैयार कर दिया गया| आस-पास के देहात के सभी हिन्दू ग्राम प्रधानों एवं दबंग हिन्दुओं के खिलाफ भी एफ़०आइ०आर दर्ज की गई|
यह प्रथम दृष्टया ही साजिस लग रही थी प्रशासन और सरकार की हिन्दुओं की ताकतें कमजोर करने की और उनके हाथ काट देने की| नई महिला एस०एस०पी० एम० पदमजा, डी०एम० अलोक तिवारी और आइ०जी० मियां जावेद अख्तर ये तीनो पुलस अधिकारी हिन्दू विरोधी और मुस्लिम हितैषी हैं| हिन्दुओं के प्रति इनका व्यव्हार सौतेला रहा है| अब तक हिन्दुओं में से १४ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और गिरफ्तारियां आज भी बदस्तूर जारी हैं जो की रात के अँधेरे में 3 बजे तक में की जा रही हैं वो भी जबरन हिन्दू घरों में घुस कर| और अभी तक में २०० हिन्दुओं के खिलाफ एफ़०आइ०आर० दर्ज हो चूका है और इतना ही नहीं करीब २००० अज्ञात हिन्दू भाइयों को दंगाई दिखा उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज किया गया है| और दिखने के लिए आज़म खान (शहरी विकास मंत्री) के आगमन पर २-४ मुस्लिमों को पकड़ कर उनको राजसी ठाट-बाट के साथ जेल में रखा गया है ताकि ज्यादा हो-हल्ला ना हो|
गौरतलब हो की १ जून दंगे वाले दिन जब हिन्दू बंधुओं के घर और दुकाने जलाई जा रही थीं और हिन्दू महिलाओं के साथ अभद्र और नीच हरकते की जा रही थी और मुस्लिम नुकसान पहुचाते हुए आगे बढ़ रहे थे तब हिन्दुओं ने थाने पर खड़े आइ०जी० से मदद की गुहार लगाई की सब जल रहा है और जलते हुए घरों में हमारी महिलाएं हैं लेकिन आ०जी० के कानो को जैसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था और ना ही उसकी आँखों को कुछ दिखाई दे रहा था| पर जब ग्रामीण हिन्दू भाई अपने नगरीय हिन्दू भाइयों की मदद के लिए आगे बढे तब ग्रामीण हिन्दू भाइयों पर इसी आइ०जी० ने लाठी चार्ज कर उनको तितर बितर करने की कोशिस की| ऐसा ये आइ०जी० इसलिए कर रहा था क्युकी ये खुद भी मुस्लिम है और मुस्लिमों को मौका दे रहा था की तुम्हारे पास मौका है और मैं खड़ा हूँ तुम्हारी रक्षा को जितना नुकसान पहुँचा सकते हो इन हिन्दुओं को उतना नुकसान जल्दी से पहुँचा लो|
दंगे के ४-५ दिन बाद डी०एम० से शांति बहाली के लिए कोसीकलां के व्यापारियों ने गुहार लगाई तो डी०एम० का कहना था कि, “मेरा काम है नगर में शांति व्यवस्था बनाये रखना| यह मेरा काम नहीं है कि आप हिन्दू और मुसलमान आपस में राजीनामा करते हैं ये नहीं| वह आप लोगों का काम है| आप लोग बाजार खोलो या ना खोलो इससे मेरा कोई सरोकार नहीं है| तुम्हारे ऐसा करने से मेरी कोई तनख्वाह नहीं कट रही है| अगर मुझे कोई उपद्रव करते मिल गया तो मैं पहले उसे समझाऊंगा| यदि वो नहीं माना तो उसे डंडों से समझाऊंगा और अगर तब भी नहीं समझा तो उसको मैं गोली से उड़ा दूंगा|”
नगर व्यापारियों ने प्रशासन के इस रवैये से क्षुब्ध हो कर कोसीकलां में बाज़ार ना खोलने का निश्चय किया| १ जून शाम से आज तक बाज़ार नहीं खुला है कोसीकलां में| और सड़कों पर केवल सुरक्षा बल के जवान घूमते हुए दिखाई देते हैं| हम हिन्दुओं के घरों में राशन इत्यादि जमा होता है| पर मुसलमान जाती ऐसी होती है कि वो रोज कमाते हैं और रोज राशन खरीद कर खाते हैं| हिन्दुओं का अनुमान था कि हमारे बाजार ना खोलने से मुसलमानों के हौसले पस्त हो जायेंगे और वो राजीनामा को मजबूर हो जायेंगे| लेकिन हिन्दुओं का अनुमान गलत साबित हुआ| जैसे ही कर्फ्यू में ढील हुई या सोच समझ कर ढील दी गई मुसलमानों ने अपने औरतों और बच्चों को अपने रिश्तेदारों के यहाँ भेज दिया| अब नगर में उग्रवादी, कट्टरवादी और दंगाई किस्म के मुस्लिम रह गए हैं जो कि संख्या में बहुत अधिक हैं|
दंगा के तीसरे दिन से दिल्ली के जामा मस्जिद कि तरफ से ट्रक भर कर राशन, सब्जियां, फल इत्यादि आने शुरू हो गए और गौर करने वाली बात है कि प्रशासन ने इसके लिए कोई रोक-टोक नहीं कि यहाँ तक कि इन ट्रकों को जांचने का कार्य भी नहीं किया गया| बल्कि इसके इतर प्रशासन ने मुस्लिम बस्तियों में टैंकर भर कर पानी भिजवाना शुरू कर दिया और हिन्दू मोहल्लों में पानी कि सप्प्लाई पर रोक लगा दिया गया| हिन्दुओं में इस बात का काफी रोष व्याप्त हो गया क्यूंकि हिन्दुओं के घरों में पानी कि किल्लत और एक वर्ग विशेष को इतनी सुविधा वो भी प्रशासन के तरफ से|
हिन्दुओं के तरफ से हिन्दुओं और मुसलमानों में सुलह के लिए आज तक ४ कोशिशें कि जा चुकी हैं| लेकिन अफ़सोस कि तीनो बार मुसलमानों ने इन राजीनामे से मना कर दिया| यही नहीं पूरा मेवात क्षेत्र जहाँ करीब १८ लाख मेव-मुस्लिम रहते हैं उन्होंने मुस्लिमो कि हर तरह कि सहायता करने का खुल्ला ऐलान कर दिया| इसमें हरियाणा के नूंह, पुन्हाना आदि मेवात क्षेत्र काफी सक्रिय हैं|
वहीँ चौथे दौर कि संधि प्रयास में कोसीकलां के कांग्रेस समर्थित आर एल डी के सेकुलर विधायक ठाकुर तेजपाल सिंह ने एक बैठक कि जिसका मुख्या मुद्दा था शांति बहाल करना पर इन्होने जो किया वो हिंदुत्व को शर्मसार करने वाला था| ये विधायक महोदय मुसलमानों के इतने अत्याचार के बावजूद हिन्दुओं को ही भाई चारे का पाठ पढ़ा रहे थे| शायद इन विधायक महोदय को अपनी कुर्सी बचाने की ज्यादा चिंता थी| पर कोसीकलां के हमारे हिन्दू भाइयों ने इन्हें टका सा जवाब दे दिया की हमें नहीं चाहिए शांति और हम अब अपने तरीके से निपट लेंगे इन अधर्मी मुसलमानों से आप विधायक महोदय अपने मुस्लमान भाइयों के साथ मस्ती करो|
यह सर्वविदित है कि उत्तर प्रदेश कि सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी सरकार जिसके मुखिया मुलायम सिंह यादव हैं वह हिन्दू विरोधी और मुसलमान परस्त पार्टी है| उसने इस बार उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाने के चक्कर में मुसलमानों को अपने मंत्रिमंडल में बड़े तौर पर तरजीह दी है।
आज़म खान जो कि शहरी विकास मंत्री है वो कट्टरवादी मुस्लिम है, वह कोसीकलां आया और उसने केवल मुसलमानों के हित कि ही बातें करीं| कोसीकलां के मुसलमानों को उसने न्याय दिलाने और प्रशासन से सहायता दिलाने का पूरा भरोसा दिया| आज़म खान ने हिन्दुओं को भी सब कुछ ठीक करने का वादा किया पर उसके चेहरे से साफ़ झलक रहा था कि जो भी वादा आज़म खान कर रहा था हिन्दुओं से वो केवल उपरी मन से था| दरअसल आज़म खान ने पर्दे के पीछे मुसलमानों कि पीठ थपथपाई और उनको अभयदान दिया|
आज़म खान के जाने के बाद उसी रात कोसीकलां के रिहाइशी इलाके आर्यनगर के एक बनिया व्यावसायी के घर और उसके निचे बनी दुकान को किसी मुसलमान ने जला दिया जिस वजह से उस व्यावसायी को लाखों का नुकसान हुआ| सुबह पुलिस आई और जबरदस्ती उस पीड़ित व्यावसायी परिवार से लिखवा कर ले गई कि ये आग शार्ट-सर्किट के चलते लगी थी| इस घटना कि दूसरी रात को फिर किसी मुसलमान ने एक और बनिया व्यावसायी के बाईपास स्थित दोना-पत्तल, मुन्जवान, रस्सी और झाड़ू के गोदाम को आग के हवाले कर दिया| इस बार भी पुलिस सुबह ही आई और पुलिस ने उस व्यापारी पर प्रशासनिक दबाव देकर लिखवा लिया कि ये आग भी शार्ट-सर्किट के चलते लगी है| जबकि सत्यता यह थी कि इस गोदाम में ना तो कोई बिजली के तार कि फिटिंग थी और ना ही कोई बिजली का कनेक्सन था| नगर के हिन्दुओं में रोष चरम पर है पर परेशानी ये है कि अगर विरोध प्रदर्शन किया तो जैसे प्रशासन बराबर धमकी दे रहा है कि हिन्दुओं पर रासुका लगा जेल में डाल दिया जायेगा|
मुस्लिमों के जुल्म कि इन्तेहाँ तब हो गई जब उन्होंने अपने इलाके में कर्फ्यू लगा होने के बावजूद हमारी गौमाता कि हत्या कर कूड़े के ढेर में फेंक दिया| यह एक करारा तमाचा था हम हिन्दुओं के मुँह पर और चेतावनी थी यह मुसलमानों कि तरफ से कि देख लो कितना भी कर्फ्यू हो पर हम तो ऐसा ही करेंगे| और तुम हिन्दू अगर रोक सकते हो तो रोक कर दिखा दो| इस बार भी पुलिस बहुत देर से पहुंची और बिना छानबीन किये कि ये गाय आई कहाँ से और किसने इसे मारा पुलिस ने गाय का पोस्टमार्टम करा गौमाता को धरती में गडवा दिया| और इतना पर ही नहीं रुके पुलिस वाले उन्होंने वहां उपस्थित पत्रकारों को ये धमकी दी कि ये किसी भी न्यूज़ में नहीं छापना चाहिए कि मुसलमानों के इलाके में गाय का शव मिला है|
कोसीकलां में भाजपा के राजनाथ सिंह जी भी आये| उनको कोसीकलां में प्रवेश नहीं दिया गया| भारी मात्र में पुलिस बल आ गया राजनाथ सिंह जी को रोकने के लिए| कोसीकलां के बाईपास पर ही स्थित एक ढाबे पर रुक कर नगर के पीड़ितों का दर्द सुन कर वो भी अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकते हुए दिखाई दिए| राजनाथ सिंह जी ने कहा कि, “मैं अखिलेश यादव से बात करूँगा कि वो हिन्दुओं के प्रति इतने रूखे क्यों हैं? यह एक तरफ़ा कार्यवाही क्यों कर रहे हैं वो? पूरी भाजपा आपके साथ है| हम जल्दी ही दिल्ली में हिन्दुओं के ऊपर हो रहे इस अत्याचार के विरोध में धरना प्रदर्शन करेंगे| हम कोसीकलां वासियों कि आवाज ऊपर तक पहुचाएंगे| आप लोग घबराये नहीं|” और भी कई बाते इन्होने बोलीं पर कोसीकलां वाशियों को जो राजनाथ सिंह जी और भाजपा से जो आशा थी वो धूमिल होती प्रतीत हुईं|
१३ जून को मुसलमान बस्तियों से यह सूचना आई कि आज हिन्दुओं कि तेरहवीं तो हमने हिन्दुओं कि गौमाता कि हत्या करके कर दी अब इनको दिखाना है कि इनका चालीसवां कैसा होता है| इन मुट्ठी भर मुसलमानों के इतने उछालने का कारन एक ही है कि हम हिन्दुओं का हाथ इस प्रशासन ने काट दिया है और मुसलमानों ने अपनी ताकत इन तेरह दिनों में अच्छे से बढ़ा लिया| क्यूंकि जिन ट्रको में उनके लिए दिल्ली के जामा मस्जिद से खाने पिने का सामान आ रहा है और यहाँ का प्रशासन बिना किसी रोकटोक के उसे मुस्लिम क्षेत्र तक जाने दे रहा है उन ट्रकों में खाने-पिने के सामानों में छुपा कर घटक और स्वचालित हथियार भेजे जा रहे हैं| (ज्ञात हो कि इमाम बनाने के समय और उसके पहले से दिल्ली जामा मस्जिद के मौजूदा इमाम बुखारी बोलते आये हैं कि मुसलमानों कि एक सशत्र सेना बनाने कि और यहाँ तक कि बुखारी ने मुस्लिम लीग के तौर पर अपनी एक मुस्लिम पार्टी बनाने के लिए साल २००० में कश्मीर के अलगाववादी नेता गिलानी से भी मुलाकात करी थी)| और इन खाना पीना लादे ट्रकों का प्रवेश आजभी बदस्तूर जारी है कोसीकलां के मुस्लिम बहुल इलाके में| अब इतने ही दिनों में मुसलमान हिन्दुवों ओ खुली चेतावनी दे रहा है कि अब चाहे पूरा देहात आ जाये हम हिन्दुओं का मुकाबला कम से कम पुरे दो महीने तक मुकाबला कर सकते हैं| आखिर २ महीने तक लगातार हिन्दुओं से मुकाबला करने कि बात ये मुसलमान अचानक से कैसे करने लगे| १६ जून को पूर्व निश्चित समझौता सभा में मुसलमान नहीं आये| उनका कहना था कि बाज़ार खोलना हिन्दुओं कि मज़बूरी है उनकी नहीं| हमको तो खाना अल्लाह अपने घर मस्जिदों से दे रहा है| तुम हिन्दुओं कि गर्ज है तभी तो हम मुस्लिमों से राजीनामा करना चाहते हो| बाज़ार ना खोलने से हिन्दू बेहाल होगा ना कि मुसलमान क्यूँकी मुसलमानों के घर खाने पिने कि सामानों से भरा हुआ है|
विदित हो कि गत दो माह पूर्व विधानसभा चुनाव होने के बाद कोसीकलां में मुसलमानों कि बस्ती निकासे में तत्कालीन डी०एम० ने स्वयं उपस्थित रह कर और मुस्लिम बस्ती में शिविर लगा कर पुरे २०० पितौलों के लाइसेंस मुस्लिमों को हाँथो-हाँथ आबंटित किये गए| जबकि कानून किसी भी शास्त्र का लाइसेंस बनवाने कि प्रक्रिया में करीब ३ माह से भी अधिक का समय लग जाता है| लेकिन इन मुसलमानों के लिए यह कार्य एक दिन में ही कर दिया गया| और ये कार्य तो एक जगह किया गया जो हमें पता चला हो सकता है ऐसा कार्य उत्तर प्रदेश के हर मुस्लिम इलाके में चोरी छिपे किया गया हो और इसके बारे में किसी को पता ना चला हो| वैसे कोसीकलां के हिन्दुओं ने भी अपनी सुरक्षा हेतु शास्त्रों के लाइसेंस आवंटित किये जाने कि मांग कि जिसे प्रशासन ने ठन्डे बसते या कहें तो कूड़े दान में डाल दिया| शतप्रतिशत मुसलमानों पर इस मेहरबानी के पीछे केवल राजनैतिक समीकरण है|
दिनांक १६ जून से कोसीकलां नगर से सभी लाइसेंस बन्दुकधारि हिन्दुओं से पुलिस उनके हथियार थाने में जमा करने में जीजान से जुट गई है| पर वहीँ दूसरी तरफ मुसलमानों से उनके वैध या अवैध हथियारों को पुलिस जब्त नहीं कर रही है| प्रशासन के इस एक तरफ़ा रवैये को लेकर हिन्दुओं में एक खौफ के साथ-साथ गहरी साजिस का भी अंदेशा हो रहा है जिस कारन हिन्दू बंधुओं में रोष व्याप्त है|
आज मुसलमान हम हिन्दुओं के सर पर नाच रहे हैं| हम हिन्दू यहाँ अपने ही श्री कृष्ण कि नगरी में ऐसे रह रहे हैं जैसे दांतों के बिच हमारी जिह्वा| हमारे इस हँसते खेलते वातावरण और घरौंदों को इन मुसलमानों ने ऐसा बना दिया है जैसे कि हम किसी खंडहर में रह रहे हों| अपने ही नगर और मोहल्ले में हमें ऐसे कैद किया गया है जैसे कि हम जेल में रह रहे हों| सरकार और प्रशासन दोनों ही हम हिन्दुओं के खिलाफ ही कार्यवाही करने को व्याकुल और अति-आतुर हैं| सरकारी और प्रशासनिक दबाव के चलते कोसीकलां के इस भीषण महासंग्राम और खुलेआम जलते घरौंदों को किसी भी टी०वि० चैनल पर नहीं दिखाया जा रहा है और ना ही किसी समाचार पत्र में इसको कोई स्थान मिल रहा है| यही नहीं किसी भी हिंदूवादी नेता को नगर में प्रवेश करने से रोका जा रहा है और उनको प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है| वैसे तो हिन्दू-मुस्लिम के दंगे आये समय में होते रहे हैं उत्तर प्रदेश में, जैसे १९८० में हुवा मोरादाबाद का दंगा जिसने करीब २००० लोगों कि प्राणों कि आहुति ले लिया था और उसमे भी कुछ नहीं किया गया था क्युकी तब केंद्र और प्रदेश में कांग्रेस कि सरकार थी| पर कोसीकलां में १ जून से चल रहे इस दंगे ने गुजरात (गोधरा-२००२) में हुए दंगे कि याद दिला दिया कि १० सालों बाद आज भी मीडिया और मोदी जी के विरोधी कैसे उस दंगे को आये दिन उछालने कि कोशिस करते हैं पर वहीँ भारत देश के बाकि के दुसरे भागों में हुए दंगो जिसमे भी गुजरात के तर्ज पर ही मुसलमानों ने ही शुरुवात किया उसे बड़े जतन से छिपाया जा रहा है ताकि किसी को सच्चाई का पता ना चले| इसे कहते हैं हिन्दू विरोधी और मुस्लिम परस्ती|
आज मुसलमान हम हिन्दुओं के सर पर नाच रहे हैं| हम हिन्दू यहाँ अपने ही श्री कृष्ण कि नगरी में ऐसे रह रहे हैं जैसे दांतों के बिच हमारी जिह्वा| हमारे इस हँसते खेलते वातावरण और घरौंदों को इन मुसलमानों ने ऐसा बना दिया है जैसे कि हम किसी खंडहर में रह रहे हों| अपने ही नगर और मोहल्ले में हमें ऐसे कैद किया गया है जैसे कि हम जेल में रह रहे हों| सरकार और प्रशासन दोनों ही हम हिन्दुओं के खिलाफ ही कार्यवाही करने को व्याकुल और अति-आतुर हैं| सरकारी और प्रशासनिक दबाव के चलते कोसीकलां के इस भीषण महासंग्राम और खुलेआम जलते घरौंदों को किसी भी टी०वि० चैनल पर नहीं दिखाया जा रहा है और ना ही किसी समाचार पत्र में इसको कोई स्थान मिल रहा है| यही नहीं किसी भी हिंदूवादी नेता को नगर में प्रवेश करने से रोका जा रहा है और उनको प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है| वैसे तो हिन्दू-मुस्लिम के दंगे आये समय में होते रहे हैं उत्तर प्रदेश में, जैसे १९८० में हुवा मोरादाबाद का दंगा जिसने करीब २००० लोगों कि प्राणों कि आहुति ले लिया था और उसमे भी कुछ नहीं किया गया था क्युकी तब केंद्र और प्रदेश में कांग्रेस कि सरकार थी| पर कोसीकलां में १ जून से चल रहे इस दंगे ने गुजरात (गोधरा-२००२) में हुए दंगे कि याद दिला दिया कि १० सालों बाद आज भी मीडिया और मोदी जी के विरोधी कैसे उस दंगे को आये दिन उछालने कि कोशिस करते हैं पर वहीँ भारत देश के बाकि के दुसरे भागों में हुए दंगो जो गुजरात के तर्ज पर ही मुसलमानों ने ही शुरुवात किये उसे बड़े जतन से छिपाया जाता है ताकि किसी को सच्चाई का पता ना चले| जैसे हाल ही में हुहे रामनवमी के बाद हेदराबाद के मंदिरों में गाए और हरा रंग फेके जाने के महा अपराधों को छुपाया गया. हेदराबाद के ही मंज्लिश पार्टी के लीडर अकबरुदीन ओबीसी द्वारा दिया गया फतवा चारमिनार स्थित महालक्ष्मी मंदिर में घंटिया बजवाने पर प्रतिबंद जैसे फतवे.
 हिन्दू भाइयों अभी भी समय है जाग जाओ और निश्चय करो कि आप क्या चाहते हैं? केवल खुद कि शांति या सम्पूर्ण शांति जिसमे आप के बच्चे दंगों का दंश ना झेले|
मुस्लिम परस्त मुलायम सिंह यादव या कांग्रेस्सियों जैसे नेता जो हमेसा मुस्लिम परस्ती ही दिखाते रहते हैं को चुनना चाहते हैं आप या किसी ऐसे राष्ट्रभक्त प्रधानमंत्री को बनते हुए देखना चाहेंगे कि जो देश कि सोचे?
मोदी जी ने तो दंगों कि जिम्मेदारी भी ली थी पर यहाँ तो चाहे वो उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री अखिलेश यादव हों या मुलायम सिंह यादव या आज़म खान इन लोगों ने जिम्मेदारी लेना तो दूर विपक्ष के हाई कोर्ट के द्वारा गठित SIT से जाँच कि मांग को भी ठुकरा दिया क्यूँकी इनकी सारी मुस्लिम परस्ती खुल कर सभी के सामने आ जाती और इनकी दुकान बंद हो जाती|
निर्णय अब आप सभी हिन्दू भाइयों के हाथों में हैं कि आप क्या चाहते हैं?
‘राष्ट्र सर्वप्रथम सर्वोपरि’ वन्दे मातरम्… जय हिंद… जय भारत..
चित्र … जोकी दैनिक जागरण के मुख्य पृष्ठ पर २ जून को मथुरा संस्करण मैं प्रकाशित कोसी में हुयी सांप्रदायिक घटना पर प्रकाशित समाचार कोसी कलां मथुरा में शुक्रवार को दोपहर 2 बजे मामूली पानी को लेकर विवाद ने दंगे का रूप ले लिया l
घटना सराय शाही में हिन्दुओं द्वारा निर्जला एकादशी के अवसर पर लगायी गयी पानी की प्याऊ जहाँ एक मुस्लिम द्वारा साथ रखी पानी की टंकी में जान बूझ कर गंदे हाथ धो लिए गए जिसके बाद वहां उपस्थित हिन्दुओं द्वारा उसकी पिटाई कर दी गयी, चूँकि घटना करीब 2 बजे की थी और शुक्रवार का दिन था तो पास ही मस्जिद से काफी संख्या में मुस्लिम नमाज अदायगी के बाद आ रहे थे इसपर वहां आक्रोशित भीड़ ने पथराव मारपीट, आगजनी, लूटपाट आदि करना प्रारंभ कर दिया l 
दैनिक जागरण के 2 पृष्ठ पर प्रकाशित घटना जिसमें कई करोड़ का सम्मान का नुक्सान हो गया दूकान, मकान, गोदाम, आदि को आग के हवाले कर दिया गया तथा कई जगह लूटपाट भी हुयी l
दैनिक जागरण २ जून के पृष्ठ संख्या 16 पर प्रकाशित मुख्य पृष्ठ का शेष समाचार जिसमें बैंक को लूटने का प्रयास भी किया गया किन्तु सफल ना होने पर मुसलमानों द्वारा बाहर खड़े वाहनो में आग लगा दी गयी तथा जीवन बीमा अधिकारी के परिवार के घर में आग लगा दी गयी l परिवार को बचा लिया गया तथा इसी बीच एक हिन्दू तीर्थयात्री भी मारा गया तथा साथ 7 जून को मुख्य प्रकाशित समाचार, जिसमें हिन्दूओं के खिलाफ एकतरफा नीयत से मुक़दमे दर्ज हुए l
काजू भुने पलेट मेंविस्की गिलास में उतरा है समाजवाद विधायक निवास में 
पक्के समाजवादी हैंतस्कर हों या डकैत इतना असर है ख़ादी के उजले लिबास में 
आजादी का वो जश्न मनायें तो किस तरह जो आ गए फुटपाथ पर घर की तलाश में
पैसे से आप चाहें तो सरकार गिरा दें संसद बदल गयी है यहाँ की नख़ास में
जनता के पास एक ही चारा है बगावत यह बात कह रहा हूँ मैं होशो-हवास में 
 जब तक हम गांधीवादी , बाबावादी , सेक्यूलरवादी बने रहेगे , तब तक ऐसा ही होता रहेगा । हिन्दू भाईयों यदि अपना अस्तित्व बचाना है तो व्यक्तिवादी न बनकर हिन्दूवादी बनों और दुष्टों का प्रतिकार करना शुरू कर दों , अन्यथा तुम्हें तुम्हारे देश में ही भयंकर यातनाऐ भोगनी पडेगी और तुम्हारी बहन – बेटियां जेहादी मुल्लों की रखैल बनकर रहेगी ।
अगर हिन्दू एक होते तब ये ही दिन दखने को मिलता अभी तक न जाने कितने मुल्लो को सबक सिखा दिया होता अभी तब पता चलेगा जब कोसीकलां में हिन्दुओ की बहन बेटी घर से निकाल कर ले जाई जायंगी तब भी चुप रहना अगर असल हो तब कुछ दिन और बाजार बंद रखते जब तक मुल्लो को सजा न मिलती 
धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः । तस्माद्धर्मो न हन्तव्यः मानो धर्मो हतोवाधीत् ॥” हमारे धर्म ग्रंथो में यह बात स्पष्ट है कि जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी रक्षा करता है | हिंदू समाज के पतन का कारण यह भी है कि वह अपने धर्म ग्रंथोके दिव्य उपदेशों को विस्मृत करके केवल और केवल मोहन दास गाजी की अंधभक्ति करता जा रहा है, नाथूराम गोडसे जी ने सही ही कहा था कि अहिंसा की अवधारणा एक दिन हिंदू समाज को इतना कमजोर कर देगी कि वह अपनी रक्षा करने में भी सक्षम नहीं रहेगा | समाजवादी पार्टी को सत्ता में लाने वालों में हिन्दुओ का ही अधिक योगदान है और ऐसा करके वो अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारते आए हैं और मार रहे हैं और निसंदेह आगे भी मारेंगे ही |  जब अपना खुद का ही सिक्का खोता हो तो परायों से तो उम्मीद ही क्या की जा सकती है ?
हिंदुत्व के कारण भारतवर्ष अखन्ड हैभारतवर्ष की अखंडता खतरे में पड़ी है तो सिर्फ इस बात के कारण क्यूंकि हिंदुत्व कमजोर हुआ है टुकड़े इस बात से नहीं होंगे कि भारत हिंदूराष्ट्र है |

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