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Tuesday, February 12, 2013

चाकलेट के नाम पर आप क्या खाते हैं.......क्या आप जानते है ?

चाकलेट के नाम पर आप क्या खाते हैं.......क्या आप जानते है ? चॉकलेट मे काफ रेनेट (बछड़े के मांस का रस मिला होता है) पिछले कुछ समय से टॉफियों तथा चाकलेटों का निर्माण करने वाली अनेक कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों में आपत्तिजनक अखाद्य पदार्थ मिलाये जाने की खबरें सामने आ रही हैं। कई कंपनियों के उत्पादों में तो हानिकर रसायनों के साथ-साथ गायों की चर्बी मिलाने तक की बात का रहस्योदघाटन हुआ है। गुजरात के समाचार पत्र 'गुजरात समाचार' में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार, 'नेस्ले यू.के. लिमिटेड' द्वारा निर्मित 'किटकेट' नामक चाकलेट में कोमल बछड़ों के 'रेनेट' (मांस) का उपयोग किया जाता है। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि 'किटकेट' बच्चों में खूब लोकप्रिय है। अधिकतर शाकाहारी परिवारों में भी इसे खाया जाता है।

नेस्ले यू.के.लिमिटेड की न्यूट्रिशन आफिसर श्रीमति वाल एन्डर्सन ने अपने एक पत्र में बताया किः 'किटकेट के निर्माण में कोमल बछड़ों के रेनेट का उपयोग किया जाता है। फलतः किटकेट शाकाहारियों के खाने योग्य नहीं है।" इस पत्र को अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिका 'यंग जैन्स' में प्रकाशित किया गया था। सावधान रहो ऐसी कंपनियों के कुचक्रों से ! टेलिविजन पर अपने उत्पादों को शुद्ध दूध पीने वाले अनेक कोमल बछड़ों के मांस की प्रचुर मात्रा अवश्य होती है। हमारे धन को अपने देशों में ले जाने वाली ऐसी अनेक विदेशी कंपनियाँ हमारे सिद्धान्तों तथा परम्पराओं को तोड़ने में भी कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। व्यापार तथा उदारीकरण की आड़ में भारतवासियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ हो रहा है। सन् 1857 में अंग्रेजों ने कारतूसों में गायों की चर्बी का प्रयोग करके सनातन संस्कृति को खण्डित करने की साजिश की थी परन्तु मंगल पाण्डेय जैसे वीरों ने अपनी जान पर खेलकर उनकी इस चाल को असफल कर दिया। अभी फिर यह नेस्ले कम्पनी चालें चल रही है। अभी मंगल पाण्डेय जैसे वीरों की जरूरत है। ऐसे वीरों क आगे आना चाहिए। देश को खण्ड-खण्ड करने के मलिन मुरादेवालों और हमारी संस्कृति पर कुठाराघात करने वालों को सबक सिखाना चाहिए। लेखकों, पत्रकारों, प्रचारकों को उनका डटकर विरोध करना चाहिए। देव संस्कृति, भारतीय समाज की सेवा में सज्जनों को साहसी बनना चाहिए। इस ओर सरकार का भी ध्यान खिंचवाना चाहिए। ऐसे हानिकारक उत्पादों के उपभोग को बंद करके ही हम अपनी संस्कृति की रक्षा कर सकते हैं। इसलिए हमारी संस्कृति को तोड़ने वाली ऐसी कम्पनियों के
उत्पादों के बहिष्कार का संकल्प लेकर आज और अभी से भारतीय संस्कृति की रक्षा में हम सबको कंधे
से कंधा मिलाकर आगे आना चाहिए। देखिये पढ़िये खुद चॉकलेट की विशेषज्ञ वैबसाइट क्या कहती है ?
http://goo.gl/RlT8E
और कुछ संदर्भ:
http://goo.gl/eM4q7
http://goo.gl/YXf2M
http://goo.gl/EO8mb
केडबरी के कुछ उत्पाद पर प्रतिबंध
http://goo.gl/F0EXp
क्या केट्बरी शाकाहारीयो के लिए भी उत्पाद
बनाती है : हीना मोदी ब्लॉग
http://goo.gl/vhiGe

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