बनकर “पाञ्चजन्य” हम हर घर मेँ अलख जगायेँगे....बागी हैँ हम इंकलाब के गीत सुनाते जायेँगे ... "सरल को कठिन बनाना आसान है लेकिन कठिन को सरल बनाना मुश्किल है। जो कठिन को सरल बनाना जानता है वो व्यक्ति विशेष होता है।
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