आज भारत मे हो रही 100% बीमारियो का कारण हमारा गलत और अज्ञानता पूर्वक किया गया भोजन है है जिसे हम tv और filmo से प्रभावित होकर करने लगे है
जैसे की शक्कर -आयोडिन नमक आदि आदि
बात अगर हम शक्कर की करे तो भारत वासी पिछले 250 साल से इसका सेवन करने लगे परिणाम आपकी आंखो के सामने है 8.50 लाख लोगो को शुगर की बीमारी और करीब 60 करोड़ लोगो को bp की कम या ज्यादा होने की बीमारी
शक्कर मे सल्फर (बारूद )मिला होता है जो शरीर मे जाकर हमारे पाचन तंत्र को प्रभावित करता है और हमारे शरीर की सारी ऊर्जा जो हम दिन भर खाकर प्राप्त करते है उसे खत्म करने लगता है हमारे शरीर की सारी ऊर्जा शकर को पचाने मे ही खत्म हो जाती है और इसके गंभीर परिणाम हमारे शरीर को भुगतना पड़ते है कई बीमारिया हो जाती है आज से दौ सौ पचास साल पहले हमारे देश मे बीमारिया नहीं होती थी गंभीर बीमारियो की तो बात ही दूर है
इसलिए आइये पवित्र भारत की पवित्र जीवन परम्पराओ की और
गुड़ का सेवन करने से शरीर में होने वाले कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। मिठाई और चीनी की अपेक्षा गुड़ अधिक लाभकारी है। आज कल चीनी का प्रयोग अधिक होने के कारण से गुड़ के उपयोग कम ही हो रहा है। गन्ने के रस से गुड़ बनाया जाता है। गुड़ में सभी खनिज द्रव्य और क्षार सुरक्षित रहते हैं।
गुड़ से कई प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं जैसे- हलुआ, चूरमा तथा लपसी आदि। गुड़ खाने से थकावट मिट जाती है। परिश्रमी लोगों के लिए गुड़ खाना अधिक लाभकारी है। मटके में जमाया हुआ गुड़ सबसे अच्छा होता है।
पुराना गुड़ का गुण : पुराना गुड़ हल्का तथा मीठा होता है। यह आंखों के रोग दूर करने वाला, भुख को बढ़ने वाला, पित्त को नष्ट करने वाला, शरीर में शक्ति को बढ़ाने वाला और वात रोग को नष्ट करने वाला तथा खून की खराबी को दूर करने वाला होता है।
गुड़ का प्रयोग दूसरे पदार्थों के साथ सेवन करने पर इसके गुण :
अदरक के साथ गुड़ खाने से कफ खत्म होता है। हरड़ के साथ इसे खाने से पित्त दूर होता है तथा सोंठ के साथ गुड़ खाने से वात रोग नष्ट होता है।
रंग : गुड़ का रंग लाल पीला, काला और सफेद होता है।
स्वाद : गुड़ का स्वाद मीठा होता है।
स्वरूप : गन्ने का रस निकालकर इसे आग पर पकाकर गुड़ बनाया जाता है।
वैज्ञानिक मतानुसार : 100 ग्राम गुड़ में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग खनिज द्रव्य होता है। चीनी में खनिज द्रव्यों और क्षारों का अभाव होता है। इसलिए चीनी की अपेक्षा गुड़ खाना अधिक लाभकारी होता है। गुड़ में बिटामिन `बी´-1, `बी´-2, विटामिन `सी´ और अल्पमात्रा में विटामिन `ए` होता है।
प्रकृति : गुड़ की प्रकृति गर्म होती है।
दोषों को दूर करने वाला : वंशलोचन गन्ना के दोषों को दूर करता है एवं गुड़ के गुणों को भी सुरक्षित रखता है।
गुण : गुड़ पेट को हल्का तथा साफ करता है। यह आंतों के घावों को ठीक करने में लाभकारी है तथा सर्दी-जुकाम की अवस्था में इसका सेवन करना अधिक फायदेमन्द होता है। यह कफ को नष्ट करता है तथा हाजमें को बढ़ाता है। गुड़ खांसी और सांस को रोकता है। इसका जला हुआ खार खांसी को दूर करता है।
तुलना : गुड़ की तुलना शहद के साथ की जा सकती है।
विभिन्न भाषाओं में गुड़ का नाम :-
संस्कृत गुड़
हिन्दी गुड़
अंग्रेजी जेगरी
बंगाली गुड़
मराठी गूल
गुजराती गोड़
तेलगू वेल्लामु
फारसी कन्देसिया
अरबी कन्देअस्वद .
जैसे की शक्कर -आयोडिन नमक आदि आदि
बात अगर हम शक्कर की करे तो भारत वासी पिछले 250 साल से इसका सेवन करने लगे परिणाम आपकी आंखो के सामने है 8.50 लाख लोगो को शुगर की बीमारी और करीब 60 करोड़ लोगो को bp की कम या ज्यादा होने की बीमारी
शक्कर मे सल्फर (बारूद )मिला होता है जो शरीर मे जाकर हमारे पाचन तंत्र को प्रभावित करता है और हमारे शरीर की सारी ऊर्जा जो हम दिन भर खाकर प्राप्त करते है उसे खत्म करने लगता है हमारे शरीर की सारी ऊर्जा शकर को पचाने मे ही खत्म हो जाती है और इसके गंभीर परिणाम हमारे शरीर को भुगतना पड़ते है कई बीमारिया हो जाती है आज से दौ सौ पचास साल पहले हमारे देश मे बीमारिया नहीं होती थी गंभीर बीमारियो की तो बात ही दूर है
इसलिए आइये पवित्र भारत की पवित्र जीवन परम्पराओ की और
गुड़ का सेवन करने से शरीर में होने वाले कई प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। मिठाई और चीनी की अपेक्षा गुड़ अधिक लाभकारी है। आज कल चीनी का प्रयोग अधिक होने के कारण से गुड़ के उपयोग कम ही हो रहा है। गन्ने के रस से गुड़ बनाया जाता है। गुड़ में सभी खनिज द्रव्य और क्षार सुरक्षित रहते हैं।
गुड़ से कई प्रकार के पकवान बनाये जाते हैं जैसे- हलुआ, चूरमा तथा लपसी आदि। गुड़ खाने से थकावट मिट जाती है। परिश्रमी लोगों के लिए गुड़ खाना अधिक लाभकारी है। मटके में जमाया हुआ गुड़ सबसे अच्छा होता है।
पुराना गुड़ का गुण : पुराना गुड़ हल्का तथा मीठा होता है। यह आंखों के रोग दूर करने वाला, भुख को बढ़ने वाला, पित्त को नष्ट करने वाला, शरीर में शक्ति को बढ़ाने वाला और वात रोग को नष्ट करने वाला तथा खून की खराबी को दूर करने वाला होता है।
गुड़ का प्रयोग दूसरे पदार्थों के साथ सेवन करने पर इसके गुण :
अदरक के साथ गुड़ खाने से कफ खत्म होता है। हरड़ के साथ इसे खाने से पित्त दूर होता है तथा सोंठ के साथ गुड़ खाने से वात रोग नष्ट होता है।
रंग : गुड़ का रंग लाल पीला, काला और सफेद होता है।
स्वाद : गुड़ का स्वाद मीठा होता है।
स्वरूप : गन्ने का रस निकालकर इसे आग पर पकाकर गुड़ बनाया जाता है।
वैज्ञानिक मतानुसार : 100 ग्राम गुड़ में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग खनिज द्रव्य होता है। चीनी में खनिज द्रव्यों और क्षारों का अभाव होता है। इसलिए चीनी की अपेक्षा गुड़ खाना अधिक लाभकारी होता है। गुड़ में बिटामिन `बी´-1, `बी´-2, विटामिन `सी´ और अल्पमात्रा में विटामिन `ए` होता है।
प्रकृति : गुड़ की प्रकृति गर्म होती है।
दोषों को दूर करने वाला : वंशलोचन गन्ना के दोषों को दूर करता है एवं गुड़ के गुणों को भी सुरक्षित रखता है।
गुण : गुड़ पेट को हल्का तथा साफ करता है। यह आंतों के घावों को ठीक करने में लाभकारी है तथा सर्दी-जुकाम की अवस्था में इसका सेवन करना अधिक फायदेमन्द होता है। यह कफ को नष्ट करता है तथा हाजमें को बढ़ाता है। गुड़ खांसी और सांस को रोकता है। इसका जला हुआ खार खांसी को दूर करता है।
तुलना : गुड़ की तुलना शहद के साथ की जा सकती है।
विभिन्न भाषाओं में गुड़ का नाम :-
संस्कृत गुड़
हिन्दी गुड़
अंग्रेजी जेगरी
बंगाली गुड़
मराठी गूल
गुजराती गोड़
तेलगू वेल्लामु
फारसी कन्देसिया
अरबी कन्देअस्वद .
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