शेयर करे मित्रो ताकि हर हिन्दुस्तानी जान सके ....जय माँ भारती ..
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दोस्तों राईट टू रिकॉल की प्रक्रियाएं इतनी आसान हैं की यदि कोई ईमानदार नेता केंद्र में पहुँच जाए तो अगले दिन राईट टू रिकाल लागू कर सकता है l कोई अलग से ऑफिस आदि पर खर्च नहीं आना है सरकार का l फिर भी कोई भी पार्टी इन कानून को नहीं पारित करती l जानते हैं क्यों ,,,,,,,
उस क्यों का जवाब आप खुद ही हो ,,,,
आप लोग नेताओ की अंध भक्क्ति करते हो ,,,की कोई मसीहा आएगा और देश सुधर जाएगा l जब तक राजनेता, मिनिस्टर्स, मंत्रियों, सरकारी कर्मचारी एवंम न्यायाधीशों के सर के ऊपर दो लटकती तलवार नहीं होगी की अगर में ठीक से काम नही करूँगा तो मुझे नौकरी में से निकाल देंगे और अगर में भ्रष्टाचार करूँगा तो नौकरी में से निकाल देंगे और नौकरी मे से निकलने के बाद मुझे सजा(जूरी सिस्टम ) भी १५-२० दिन में देंगे ,, तब तक कोई सुधार नहीं होगा देश में l
मै कुछ आसान प्रक्रिया दे रही हूँ की कितना आसान है राईट टू रिकॉल
राईट टू रिकाल-प्रधानमंत्री draft in short
1. भारत का कोई भी नागरिक, जो 30 साल से ज्यादा हो, जिला कलेक्टर को एक सांसद के चुनाव के
बराबर भुगतान करके खुद को प्रधानमंत्री के लिए उम्मीदवार के रूप में रजिस्टर करवा सकता है |
2. भारत का कोई भी नागरिक तलाटी ((लेखपाल, पटवारी, ग्राम अधिकारी) कार्यालय में जाकर मात्र 3 रुपये
शुल्क का भुगतान करके, प्रधानमंत्री पद के लिए अधिकतम पांच व्यक्तियों पर अनुमोदन या
स्वीकृति दे सकता है | तलाटी (लेखपाल, पटवारी, ग्राम अधिकारी) उस नागरिक का फोटो और अंगुली के
छाप लेगा और उसे रसीद देगा जिस पर उसका मतदाता-पहचान-संख्या और व्यक्तियों के नाम जिसे उसने
मंजूरी दी है लिखी होगी | (सुरक्षित मेस्सेज सिस्टम आने पर ये खर्चा कुछ पैसे हो जायेगी)
3. नागरिक किसी भी दिन अपना अनुमोदन (स्वीकृति) रद्द कर सकता है |
4. वह पटवारी प्रधानमंत्री के वेबसाइट पर नागरिक के मतदाता-पहचान-पत्रसंख्या सहित उसके द्वारा चुने गए
व्यक्तियों के नाम डाल देगा |
5. हर महीने की पहली तारीख को, सचिव हर उम्मीदवार के अनुमोदनों (स्वीकृति) की गिनती प्रकाशित करेगा |
6. प्रधानमंत्री का अनुमोदन की गिनती इन दो विकल्पों में से जो अधिक होगी मानी जा सकती है
o नागरिकों की संख्या जिन्होंने उसको विकृति दी है
o लोकसभा सांसद जिन्होंने उसे समर्थन दिया है के वोटों की कुल जमा राशि
7. यदि किसी भी उम्मीदवार को 15 करोड़ मतदाताओं का अनुमोदन/स्वीकृति प्राप्त हो जाता है और वर्त्तमान प्रधानमंत्री से एक करोड़ अनुमोदन अधिक मिलते हैं, तो मौजूदा प्रधानमंत्री इस्तीफा दे सकता है (या उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है) और सांसदों को सबसे ज्यादा अनुमोदन मिलने वाले प्रधानमंत्री उम्मीदवार को नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता है | या सांसद सबसे ज्यादा अनुमोदन पाने वाले प्रधानमंत्री उम्मीदवार को भी नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं |
8. यदि कोई नागरिक इस कानून में परिवर्तन लाना चाहे , तो वो हलफनामा/एफिडेविट जिला कलेक्टर के दफ्तर जाकर कर जमा कर सकता है और जिला कलेक्टर या उसका क्लर्क हलफनामा/एफिडेविट को प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर रखेगा रु २० प्रति पन्ना लेकर |
9. यदि कोई भी नागरिक इस क़ानून या इसके कोई अंश का विरोध करना चाहे या उपरोक्त कलम में जमा हलफनामा/एफिडेविट पर अपनी हाँ/ना दर्ज करना चाहे और पटवारी के दफ्तर वोटर पहचान पत्र सहित जाता है और रु.3 शुल्क देता है तो पटवारी उसका हाँ/ना दर्ज करेगा और उसे रसीद देगा. नागरिक की हाँ/ना प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर दर्ज होगी |
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दोस्तों राईट टू रिकॉल की प्रक्रियाएं इतनी आसान हैं की यदि कोई ईमानदार नेता केंद्र में पहुँच जाए तो अगले दिन राईट टू रिकाल लागू कर सकता है l कोई अलग से ऑफिस आदि पर खर्च नहीं आना है सरकार का l फिर भी कोई भी पार्टी इन कानून को नहीं पारित करती l जानते हैं क्यों ,,,,,,,
उस क्यों का जवाब आप खुद ही हो ,,,,
आप लोग नेताओ की अंध भक्क्ति करते हो ,,,की कोई मसीहा आएगा और देश सुधर जाएगा l जब तक राजनेता, मिनिस्टर्स, मंत्रियों, सरकारी कर्मचारी एवंम न्यायाधीशों के सर के ऊपर दो लटकती तलवार नहीं होगी की अगर में ठीक से काम नही करूँगा तो मुझे नौकरी में से निकाल देंगे और अगर में भ्रष्टाचार करूँगा तो नौकरी में से निकाल देंगे और नौकरी मे से निकलने के बाद मुझे सजा(जूरी सिस्टम ) भी १५-२० दिन में देंगे ,, तब तक कोई सुधार नहीं होगा देश में l
मै कुछ आसान प्रक्रिया दे रही हूँ की कितना आसान है राईट टू रिकॉल
राईट टू रिकाल-प्रधानमंत्री draft in short
1. भारत का कोई भी नागरिक, जो 30 साल से ज्यादा हो, जिला कलेक्टर को एक सांसद के चुनाव के
बराबर भुगतान करके खुद को प्रधानमंत्री के लिए उम्मीदवार के रूप में रजिस्टर करवा सकता है |
2. भारत का कोई भी नागरिक तलाटी ((लेखपाल, पटवारी, ग्राम अधिकारी) कार्यालय में जाकर मात्र 3 रुपये
शुल्क का भुगतान करके, प्रधानमंत्री पद के लिए अधिकतम पांच व्यक्तियों पर अनुमोदन या
स्वीकृति दे सकता है | तलाटी (लेखपाल, पटवारी, ग्राम अधिकारी) उस नागरिक का फोटो और अंगुली के
छाप लेगा और उसे रसीद देगा जिस पर उसका मतदाता-पहचान-संख्या और व्यक्तियों के नाम जिसे उसने
मंजूरी दी है लिखी होगी | (सुरक्षित मेस्सेज सिस्टम आने पर ये खर्चा कुछ पैसे हो जायेगी)
3. नागरिक किसी भी दिन अपना अनुमोदन (स्वीकृति) रद्द कर सकता है |
4. वह पटवारी प्रधानमंत्री के वेबसाइट पर नागरिक के मतदाता-पहचान-पत्रसंख्या सहित उसके द्वारा चुने गए
व्यक्तियों के नाम डाल देगा |
5. हर महीने की पहली तारीख को, सचिव हर उम्मीदवार के अनुमोदनों (स्वीकृति) की गिनती प्रकाशित करेगा |
6. प्रधानमंत्री का अनुमोदन की गिनती इन दो विकल्पों में से जो अधिक होगी मानी जा सकती है
o नागरिकों की संख्या जिन्होंने उसको विकृति दी है
o लोकसभा सांसद जिन्होंने उसे समर्थन दिया है के वोटों की कुल जमा राशि
7. यदि किसी भी उम्मीदवार को 15 करोड़ मतदाताओं का अनुमोदन/स्वीकृति प्राप्त हो जाता है और वर्त्तमान प्रधानमंत्री से एक करोड़ अनुमोदन अधिक मिलते हैं, तो मौजूदा प्रधानमंत्री इस्तीफा दे सकता है (या उसे ऐसा करने की जरूरत नहीं है) और सांसदों को सबसे ज्यादा अनुमोदन मिलने वाले प्रधानमंत्री उम्मीदवार को नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकता है | या सांसद सबसे ज्यादा अनुमोदन पाने वाले प्रधानमंत्री उम्मीदवार को भी नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर सकते हैं |
8. यदि कोई नागरिक इस कानून में परिवर्तन लाना चाहे , तो वो हलफनामा/एफिडेविट जिला कलेक्टर के दफ्तर जाकर कर जमा कर सकता है और जिला कलेक्टर या उसका क्लर्क हलफनामा/एफिडेविट को प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर रखेगा रु २० प्रति पन्ना लेकर |
9. यदि कोई भी नागरिक इस क़ानून या इसके कोई अंश का विरोध करना चाहे या उपरोक्त कलम में जमा हलफनामा/एफिडेविट पर अपनी हाँ/ना दर्ज करना चाहे और पटवारी के दफ्तर वोटर पहचान पत्र सहित जाता है और रु.3 शुल्क देता है तो पटवारी उसका हाँ/ना दर्ज करेगा और उसे रसीद देगा. नागरिक की हाँ/ना प्रधानमंत्री की वेबसाइट पर दर्ज होगी |
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