भगवान्
पर चढ़ाया हुआ पुष्प 'निर्माल्य' कहलाता है | सूंघा हुआ (केवल भौंरे के
सूंघने से पुष्प दूषित नहीं होता ) या अंग पर लगाया हुआ पुष्प भी इसी
श्रेणी में आता है, अत: इन्हें भगवान् पर न चढ़ाएं | जो पुष्प अपवित्र
पात्र में रख दिया हो, जो अपवित्र स्थान में उत्पन्न हो, आग से झुलस गया
हो, कीड़ों से दूषित हो, सुंदर नहीं हो, जिसकी पंखुडियां बिखर गयी हो, जो
पृथ्वी पर गिर पड़ा हो [ केवल हर सिंगार
(पारिजात) के पुष्प भूमि पर गिरने से भी दूषित नहीं होते] , जो पूर्णतः
खिला न हो अर्थात कली [कलिओं को चढ़ाना मना है, परन्तु यह नियम कमल की कली
पर लागू नहीं होता, केवल कमल ही ऐसा पुष्प है जिसकी कली भी चढ़ाई जा सकती
है ] , जो निर्गंध हो अथवा अत्यधिक तेज गंध वाला हो और जो पुष्प बायें हाथ
से, अधोवस्त्रों पर, आक और रेंड के पत्ते पर रख कर लाया गया हो, वह पुष्प
त्याज्य हैं | ऐसे पुष्पों को देव प्रतिमा पर न चढ़ाएं... और निर्माल्य को
भी किसी सुंदर प्रवाह में प्रवाहित कर दें अथवा ऐसी जगह रख दें जिससे यह
पैरों में न आयें... निर्माल्य पर , विशेषकर शिव-निर्माल्य पर, पैर रखने से
बड़ा भारी दोष होता है | पूजा के समय रखी गयी ऐसी कुछ सावधानिओं से हम
अपना जीवन भी सुंदर बना सकते हैं...
जय श्री कृष्ण... पार्वती पतये हर हर महादेव...
जय श्री कृष्ण... पार्वती पतये हर हर महादेव...
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